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मुम्बई


मंडियों में आलू की उचित कीमत नहीं मिलने से किसान परेशान

मंडियों में आलू की उचित कीमत नहीं मिलने से किसान परेशान

जालंधर,20 फरवरी(वार्ता)केन्द्र सरकार की नोटबंदी के प्रभाव से आलुआें के दाम गिरने तथा खरीदार नहीं मिलने से आलू उत्पादक किसान खासे परेशान हैं। नोटबंदी के 100 दिन गुजर जाने के पश्चात सब्जी मंडियों में इन दिनों मौसम अनुकूल होते ही सब्जियां भाव खा रही हैं, लेकिन सब्जियों का राजा आलू फिर बेभाव है जिसके चलते राज्य के आलू उत्पादक किसान परेशान हैं। होली से पहले आलू की खुदाई करने वाले किसानों के कदम सब्जी मंडी में आलू के भाव देख ठिठक गए हैं। मंडियों में मौजूदा हालात में 200 रुपए बोरी का भाव है, जबकि लागत 400 रुपए के करीब। हैरानी वाली बात है कि नोटबंदी के करीब 100 दिन गुजर जाने के बाद भी मंडियों में बाहरी राज्यों के व्यापारी नहीं पहुंच रहे हैं जिसका सीधा-सीधा नुकसान आलू उत्पादक किसान को हो रहा है। ऐसे में किसानों की समझ में नहीं आ रहा है अपने खेत से आलू खोदें या नहीं? पंजाब के दोआबा के होशियारपुर जिले में इस बार भी आलू की बम्पर पैदावार हुई है। आलू की बम्पर पैदावार का नतीजा है कि आलू को मंडी में भाव नहीं मिल रहा है तो बाहर की मंडियों में भी सन्नाटा है। कई खेतों में आलू 90 दिन से ऊपर का हो गया है, लेकिन किसान इसे खोदने का साहस नहीं जुटा पा रहे हैं। दोआबा क्षेत्र आलू के बीज की फसल के लिए जाना जाता है। आलू खोदने के लिए जिन किसानों ने पूरी तैयारी कर ली थी, मंडी से लौटकर उन्होंने भी अपना कार्यक्रम स्थगित कर दिया है। बाजार के मौजूदा भाव से किसानों को लागत निकलती नहीं दिख रही है। किसानों का कहना है कि अगर आलू को बाजार में भाव नहीं मिला तो इस बार फिर आलू सड़क पर फेंकने के हालात बनेंगे। गत वर्ष घाटा सह चुके किसान अब घाटा सहने की स्थिति में नहीं हैं। ठाकुर.श्रवण जारी.वार्ता

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