कोलकाता, 01 जून (वार्ता) कभी तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी के करीबी रहे अर्जुन सिंह पश्चिम बंगाल की बैरकपुर लोकसभा सीट से अपने ही पूर्व साथी और दो बार के सांसद दिनेश त्रिवेदी को हराकर भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतकर संसद पहुंचे हैं।
दो अप्रैल 1962 को जन्में 57 वर्षीय श्री सिंह किसी समय तृणमूल के कद्दावर नेता रहे हैं, वह पश्चिम बंगाल की भाटपाड़ा विधानसभा सीट से 2001 से 2016 तक लगातार चार बार चुनाव जीते और विधायक बने। इसके अलावा वह तृणमूल के हिंदी विंग के अध्यक्ष भी रहे हैं। पार्टी में रहते हुए उन्हें तृणमूल ने उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पंजाब जैसे राज्यों का प्रभारी बनाया था। श्री सिंह भाटपाड़ा नगरपालिका के अध्यक्ष भी रहे हैं।
श्री सिंह को राजनीति विरासत में मिली है। उनके पिताजी सत्यनारायण सिंह भाटपाड़ा सीट से ही कांग्रेस से तीन बार विधायक रह चुके हैं। वह मूल रुप से पश्चिम बंगाल के जगदाल के रहने वाले हैं। राजनीति में आने से पहले श्री सिंह जूट मिल में काम किया करते थे। उन्होंने अपना राजनीतिक करियर 1995 में भाटपाड़ा से कांग्रेस के टिकट पर पार्षद का चुनाव लड़कर शुरु किया था और पहली बार में ही सफलता हासिल की। बाद में उन्होंने कांग्रेस का हाथ छोड़कर तृणमूल का दामन थाम लिया और उसके टिकट पर भाटपाड़ा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और विधायक बने। श्री सिंह तब से लेकर वर्ष 2019 में भाजपा में शामिल होने तक इस विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व करते रहे।
उन्होंने 2004 में बैरकपुर लोकसभा सीट से तृणमूल उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा लेकिन भाग्य ने उनका साथ नहीं दिया और उन्हें माकपा के तडितबरन तोपदार के हाथों पराजय का सामना करना पड़ा। वह 2010 से लेकर 2019 तक भाटपाड़ा नगरपालिका के अध्यक्ष रहे । तृणमूल छोड़कर भाजपा में शामिल होने के बाद उन्हें अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा जिसमें वह हार गए थे।
इस वर्ष लोकसभा चुनवों से ठीक पहले उन्होंने ममता बनर्जी का साथ छोड़कर भगवा झंडा थामा और भाजपा ने उन्हें बैरकपुर लोकसभा सीट से पार्टी का उम्मीदवार बनाया। इस सीट से तृणमूल ने श्री त्रिवेदी को तीसरी बार चुनावी मैदान में खड़ा किया था। इस सीट पर इस बार काफी कड़ा मुकाबला देखने को मिला, चुनावी नतीजे के वक्त किसी राउंड में श्री सिंह आगे रहे तो कभी श्री त्रिवेदी ने बढ़त बनायी लेकिन अंततः श्री सिंह ने श्री त्रिवेदी को 14,857 वोटों के अंतर से हराकर तृणमूल का यह किला ढहा दिया।
श्री सिंह राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी माने जाते हैं और उन्होंने काफी कम समय में बंगाल की राजनीति में अपना लौहा मनवाया है। उन्होंने पार्षद से सांसद बनने का सफर ढ़ाई दशक में पूरा कर लिया। दिलचस्प बात यह भी है कि जिस भाटपाड़ा सीट से वह विधायक रहे थे उस पर कभी उनके पिता सत्यनारायण भी विधायक रहे थे और अब उपचुनाव जीतकर उनके पुत्र पवन सिंह भी इसी सीट से विधायक हैं। श्री सत्यनारायण कांग्रेस से इस सीट के विधायक थे जबकि श्री सिंह तृणमूल के विधायक के तौर पर चुने गए और अब उनके पुत्र श्री पवन भाजपा विधायक के रुप में इस सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
शोभित जय
वार्ता