नयी दिल्ली,30 नवंबर (वार्ता) भारतीय क्रिकेट टीम के लिये खेलना देश के हर क्रिकेटर का सपना होता है लेकिन बहुत कम ही भाग्यशाली होते हैं जो लंबे समय तक खेल पाते हैं। देश में ऐसे खिलाड़ियों की संख्या इतनी अधिक है जो मात्र एकाध मैच खेलकर ही टीम से बाहर हो गये और फिर उन्हें वापसी करने का मौका नहीं मिल पाया।
भारत के टेस्ट क्रिकेट, वनडे और ट्वंटी 20 का इतिहास गवाह है कि खिलाड़ियों ने भारतीय टीम में शामिल होने पर कहा कि उनका सपना पूरा हो गया है लेकिन उनका सपना चकनाचूर होने में ज्यादा समय नहीं लगा। पिछले लगभग 10 वर्षाें को देखा जाए तो कई खिलाड़ी जितनी तेजी से भारतीय टीम से जुड़े उससे ज्यादा तेज़ी से टीम से बाहर भी हो गये।
ताज़ा उदाहरण तो मुंबई के तेज़ गेंदबाज़ शार्दुल ठाकुर का है जो इस साल अगस्त-सितंबर में श्रीलंका के खिलाफ दो वनडे खेले थे और न्यूजीलैंड के खिलाफ पिछली वनडे सीरीज़ का हिस्सा थे। लेकिन श्रीलंका के खिलाफ घोषित एकदिवसीय टीम में ठाकुर को बाहर कर दिया गया और उनकी जगह तेज़ गेंदबाज़ सिद्धार्थ कौल को लाया गया।
भारतीय टीम के मौजूदा सबसे अनुभवी खिलाड़ी इशांत शर्मा के 2007 में ढाका में पदार्पण करने के बाद से पिछले 10 साल पर नज़र डाली जाए तो भारतीय टीम में कई खिलाड़ी आये और आकर चले गये। टेस्ट क्रिकेट पर नज़र डालें तो सुब्रमण्यम बद्रीनाथ दो टेस्ट, अभिमन्यु मिथुन चार टेस्ट, जयदेव उनादकट एक टेस्ट, अभिनव मुकुंद सात टेस्ट, वरूण आरोन नौ टेस्ट, आर विनय कुमार एक टेस्ट, स्टुअर्ट बिन्नी छह टेस्ट, पंकज सिंह दो टेस्ट, कर्ण शर्मा एक टेस्ट, नमन ओझा एक टेस्ट और जयंत यादव चार टेस्ट खेलकर टीम से बाहर हो गये।
राज प्रीति
जारी वार्ता