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सुश्री बनर्जी ने हमले की तीखी निंदा करते हुए आरोप लगाया कि राज्य में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर(एनआरसी) के कारण इस तरह की घटना हुई। एनआरसी के अंतिम मसौदे में नाम नहीं होने से 40 लाख से अधिक लोगों को देश-निकाला का सामना कर रहे हैं। अंतिम मसौदा 30 जुलाई को प्रकाशित हुआ था।
सुश्री बनर्जी ने ट्विटर पर कहा,“असम से दिल दहलाने वाली खबर आयी है। हम तिनसुकिया में हुई बर्बर हमले और श्यामलाल विश्वास, अनंत विश्वास, अविनाश विश्वास, सुबोध दास की हत्या की कड़ी निंदा करते हैं। क्या यह एनआरसी में हुए बदलाव का परिणाम है?”उन्होंने कहा,“ शोकाकुल परिवारों को दुख व्यक्त करने के लिए हमारे पास कोई शब्द नहीं है। दोषियों को जल्द से जल्द से सजा मिलनी चाहिए। तीनसुकिया में पांचवा पीड़ित धनंजय नामशुद्र है।” श्री बनर्जी ने आरोप लगाया कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के लिए 200 करोड़ रुपये बहुत कम बजट दिया गया। वे 300 करोड़ रुपये की मूर्ति बनाते हैं। दूसरी तरफ वे असम में बंगालियों की हत्या कर रहे हैं। उन्होंने कहा , “ अन्य राज्य के लोग बंगाल में शांतिपूर्वक रह रहे हैं। उनके साथ कभी भी भेदभाव नहीं होता। यह बंगाल की संस्कृति है। मेरे कई अल्पसंख्यक मित्रों ने नमाज अदा करने के बाद असम में हिंदुओं की नृशंस हत्या के खिलाफ प्रदर्शन में शामिल हुए। यह बंगाल में भाईचारे की संस्कृति है।”
उ‌न्होंने सवाल उठाया,“ हमने कल इस घटना में उल्फा के शामिल होने की खबर सुनी। आज उन्होंने बयान दिया कि इस घटना में उन्होंने कुछ नहीं किया। पुलिस की वर्दी में कौन लोग थे? इन पांच बेगुनाहों को किसने मारा?” उन्होंने कहा कि इस घटना की स्वतंत्र एवं निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। उच्चतम न्यायालय की निगरानी में जांच होनी चाहिए।उन्होंने कहा, “ हम शिष्टाचार की राजनीति में विश्वास करते हैं। यदि वे बंगाल में शांति को भंग करना चाहते हैं तो हम कभी बर्दाश्त नहीं करेंगे। तथ्य और आंकड़े के आधार पर बंगाल और केंद्र द्वारा की गई प्रगति की तुलना करते हैं।
सुश्री बनर्जी ने कहा,“आने वाले दिनों में ‘दु हजार उनीस, भाजपा फिनिश’ और ‘भाजपा हटाओं, देश बचाओ’ हमारा नारा होना चाहिए।”
रमेश टंडन
वार्ता
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