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श्री येदियुरप्पा ने कहा कि ऐतिहासिक रिकॉर्डों से पता चलता है कि टीपू सुल्तान ने मालाबार पर आक्रमण के दौरान हजारों कोडवों का कत्ल करने का आदेश दिया था। उन्होंने कहा, “इस तानाशाह ने दीपावली के दिन मंडया जिले के मेलकोटे में मंडयम इयनगरों का वध करने का भी आदेश दिया था। यही कारण था कि इन इयनगरों ने मैसूर के तत्कालीन महाराजा का समर्थन किया था और बदले में अपने राज्य को वापस करने की मांग की थी। उल्लेखनीय है कि हजारों कोडवों ने हाल ही में दिल्ली में फ्रांसीसी दूतावास के सामने प्रदर्शन प्रदर्शन किया था।”
उन्होंने कहा कि कर्नाटक के लोगों ने यहां के मूल निवासियों तथा आदिवासियों के खिलाफ लड़ाई में टीपू का समर्थन करने को लेकर फ्रांस की सरकार से माफी मांगने की मांग की है। उन्होंने कहा, “मैं उपमुख्यमंत्री जी परमेश्वर के उस बयान पर कड़ी आपत्ति जताता हूं जिसमें उन्होंने कहा था कि सरकार टीपू जयंती समारोह का विरोध करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करेगी। हम सभी को स्पष्ट रूप से गलत तथा जनता की इच्छाओं के खिलाफ निर्णय का विरोध करने का अधिकार है।” उन्होंने टीपू जयंती समारोह को अल्पसंख्यक समुदाय की तुष्टीकरण तथा वोट बैंक की राजनीति करार दिया।
श्री येदियुरप्पा कहा, “अगर सरकार मुस्लिम समुदाय के प्रतिष्ठित व्यक्तियों का सम्मान करने की उत्सुक है, तो हमारे पास दिवंगत डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम या जांबाज सैनिक अब्दुल हामीद हैं। यह याद रखें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1965 के युद्ध में शहीद हुए अब्दुल हामीद के परिवार वालों से मुलाकात की थी। राज्य सरकार को प्रधानमंत्री का अनुसरण करना चाहिए। मैं दृढ़ता से राज्य सरकार से लोगों की भावनाओं का सम्मान करने और टीपू जयंती मनाने का निर्णय छोड़ने की अपील करता हूं।”
संतोष
वार्ता
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