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वर्ष 1992 में भारत और इजरायल के बीच द्विपक्षीय संबंधों के 25 साल बाद जुलाई 2017 में श्री मोदी इजरायल जाने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बने।
कई मिजो ईसाई इस बात से सहमत हैं कि दशकों से सरकार के फिलिस्तीन को समर्थन देने के कारण भारतीय ईसाई राजनयिक पासपोर्ट के होने के वाबजूद इजरायल नहीं जा सकते थे।
मेरी विनचेस्टर जोलुटी ने कहा,“ मैं लगभग रोजाना सिनगॉग (यहूदी उपासनागृह) जाती हूं” और मानती हैं कि भाजपा की नव-इजरायल के साथ दोस्ताना राजनीति का उदय उसके जैसे हरि किसी के लिए अच्छा होगी। इनके जैसे कई मिजो-यहूदी लोग हैं जो श्री मोदी-नेतन्याहू की दोस्ती को बढ़ावा दे रहे हैं।
एक 55 वर्षीय उद्यमी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा,“कुछ राजनेताओं या ईसाई नेताओं को भावनात्मक मिजो-यहूदी संबंध के साथ भाजपा में शामिल होना उचित नहीं होगा। यह आस्था से कहीं ज्यादा अधिक है जबकि राजनीति सत्ता का खेल है।”
ईसाई समुदाय मिजोरम में धीरे-धीरे संगठित हो रहा है और स्थानीय लोगों ने राज्य के दक्षिण-मध्य भाग में मुल्थन नॉर्थ जैसे छोटे केंद्रों में यरूशलेम मार्केट भी स्थापित किया है।
ईसाई-वर्चस्व वाले राज्य के पूर्व मंत्री थॉमस नगुली जैसे नागा नेता ने पहले भी प्रधानमंत्री मोदी की 4 से 6 जुलाई 2017 की इजरायल यात्रा की सराहना की थी। एक और नागा नेता एवं राज्यसभा के पूर्व सांसद ख्यामो लोथा ने यरूशलेम को ईसाई तीर्थयात्रा के स्थान के रूप में स्वीकार करने पर प्रधानमंत्री मोदी की सराहना की।
रमेश, उप्रेती
वार्ता
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