राज्य » अन्य राज्यPosted at: Jan 11 2019 11:13PM विनियमित कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रिया पर अदालत रोक
नैनीताल, 11 जनवरी (वार्ता) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने प्रदेश के एक हजार से अधिक विनियमित सरकारी कर्मचारियों को राहत देते हुए शुक्रवार को अगले आदेश तक नयी भर्ती करने पर रोक लगा दी, साथ ही इस मामले में राज्य सरकार से जवाब दायर करने को कहा।
न्यायालय ने यह आदेश हल्द्वानी निवासी ममता डांगी और 26 अन्य विनियमित कर्मचारियों की याचिका पर सुनवाई के बाद दिया। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता संजय भट्ट ने बताया कि प्रदेश सरकार ने वर्ष 2013 में विनियमितीकरण नीति तैयार की थी और वर्ष 2016 में इसमें संशोधन किया था लेकिन वर्ष 2018 में उच्च न्यायालय ने हिमांशु जोशी की याचिका पर सुनवाई के बाद विनियमितीकरण नीति में किये गये संशोधन को खारिज कर दिया। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में यह भी कहा था कि सरकार वर्ष 2013 की विनियमितीकरण नीति के तहत अन्य कर्मचारियों को नियमित न करे।
श्री भट्ट ने बताया कि नियमावली संशोधन के बाद वर्ष 2016 में कई संविदा कर्मचारियों को विनियमितीकरण का लाभ मिला लेकिन हिमांशु मामले में वर्ष 2018 में दिये गये आदेश के बाद सरकार ने हाल ही में विनियमित कर्मचारियों के पदों को रिक्त घोषित कर दिया। साथ ही उन पदों को भरने के लिये हाल ही में नयी विज्ञप्ति जारी कर दी। सरकार के इस कदम को ममता डांगी और अन्य लोगों ने चुनौती दी।
उन्होंने बताया कि अदालत में आज दलील दलील दी कि हिमांशु मामले में दिये गये उच्च न्यायालय के आदेश से पहले जिन कर्मचारियों को विनियमितीकरण का लाभ मिला है वे इस आदेश से प्रभावित नहीं होते है। साथ ही अदालत ने विनियमित कर्मचारियों को हटाने के संबंध में कोई निर्देश नहीं दिये हैं। सरकार इन पदों को भरने के लिये नयी विज्ञप्ति जारी नहीं कर सकती है।
उन्होंने बताया न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की एकलपीठ ने मामले को सुनने के बाद सरकार के कदम पर रोक लगा दी और सरकार से इस मामले में जवाब दायर करने को कहा है। अदालत के इस कदम से फिलहाल 1200 विनियमित सरकारी कर्मचारियों को राहत मिली है।
सं. संतोष
वार्ता