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शिक्षा प्रबुद्ध, जागरुक बनाने में भी हो सहायक : नायडू

शिक्षा प्रबुद्ध, जागरुक बनाने में भी हो सहायक : नायडू

हैदराबाद, 01 मार्च (वार्ता) उप-राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने शुक्रवार को कहा कि हमारे स्कूलाें, कालेजों और विश्वविद्यालयों में दी जाने वाली शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो व्यक्ति में आत्मबोध, ज्ञान और जागरुकता पैदा करने वाली हो।

श्री नायडू ने आंध्र विद्यालय कालेज आॅफ आर्टस, साइंस एवं वाणिज्य में एक दीक्षांत कार्यक्रम में कहा कि वर्ष 2020 तक भारत में युवाओं की औसत उम्र 28 वर्ष होगी जबकि चीन और अमेरिका में यह 37 वर्ष, यूरोप में 45 और जापान में 49 वर्ष होगी। आर्थिक विकास में जनसांख्किीय आंकड़े बहुत बड़ा बदलाव लाते हैं और आर्थिक वृद्धि के पैमाने को बदल सकते हैं।

उन्होंने कहा कि लोगों के स्वास्थ्य, गुणवत्ता युक्त शिक्षा, नौकरियों और कौशल शिक्षा के क्षेत्र में निवेश करके मानव पूंजी का निर्माण करने में मदद मिलती है अौर भारत ने मानव संसाधन विकास में काफी प्रगति की है लेकिन इसके बावजूद वह अशिक्षा, माध्यमिक स्कूली शिक्षा के समक्ष बड़े अवरोधकों, निम्न स्तरीय जन सेवाआें और लैंगिक भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है। अब सही समय आ गया है जब भारत को शिक्षा योजना बनाने, नये तकनीकी अवसरों का दाेहन करने की आक्रामक नीति अपनानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि लैंगिक संवेदनशीलता के जरिए लैंगिक समानता और महिलाओं की सुरक्षा पर अधिक ध्यान देना चाहिए और इसकी शुरुआत घरों, स्कूलों तथा कालेजों से होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि देश में नौकरियां उपलब्ध हैं लेकिन उपयुक्त बेहतर कौशल की कमी से वे इसका लाभ नहीं उठा पा रहे हैं और प्रधानमंत्री कौशल विकाय योजना द्वितीय जो अक्टूबर 2016 में लांच की गयी थी और इसका मकसद अगले चार वर्षों में एक करोड़ लोगों को प्रशिक्षित करना है।

जितेन्द्र.श्रवण

वार्ता

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