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बंधुआ मजदूरों को राहत राशि देने का सरकार को आदेश

नैनीताल 22 अप्रैल (वार्ता) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने पंजाब से मूुक्त कराये गये हरिद्वार जिले के बंधुआ मजदूरों के पुनर्वास को लेकर सरकार तथा हरिद्वार जिला प्रशासन को प्रत्येक बंधुआ मजदूर को बीस हजार रुपये की राहत राशि देने का सोमवार को आदेश दिया। अदालत ने अपने अंतरिम आदेश में ये राशि चेक से सीधे पीड़ितों के खाते में जमा करने को कहा है।
मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति नारायण सिंह धनिक की युगलपीठ ने दिल्ली निवासी निर्मल सिंह घोराना की जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान ये आदेश दिये।
याचिकाकर्ता की वकील स्निग्धा तिवारी ने बताया कि जून 1914 में पंजाब के मोगा जिले से हरिद्वार (रूड़की) के मोहपुर गांव के 18 बंधुआ मजदूरों को मुक्त कराया गया था। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट के बाद हरिद्वार जिला प्रशासन ने यह कार्यवाही की थी।
याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि तब से लेकर आज तक पिछले पांच सालों में मुक्त कराये गये बंधुआ मजदूरों को केन्द्र की पुनर्वास योजना का लाभ नहीं मिल पाया है। याचिकाकर्ता की ओर से न्यायालय को यह भी बताया गया कि देश में बंधुआ मजदूरी प्रथा( उन्मूलन) अधिनियम, 1976 का अनुपालन समुचित तरीके से नहीं किया जा रहा है। साथ ही बंधुआ मजदूरों को केन्द्र की पुनर्वास योजना 2016 का लाभ भी नहीं मिल पा रहा है।
रवीन्द्र.संजय
वार्ता
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