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उत्तराखंड में प्रदूषण फैलाने वाली आठ औद्योगिक इकाइयां हुईं बंद

नैनीताल, 29 अप्रैल (वार्ता) उत्तराखंड में प्रदूषण मानकों का पालन नहीं करने के मामले में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के बाद राज्य की आठ औद्योगिक इकाइयों को बंद कर दिया गया है।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने उच्च न्यायालय को यह जानकारी दी। इसके अलावा न्यायालय ने लाल रंग की श्रेणी (रेड कैटगरी) के तहत आने वाली 180 औद्योगिक इकाइयों की सर्वे रिपोर्ट भी अदालत में पेश करने को कहा है।
यह जानकारी अधिवक्ता सी.के. शर्मा ने दी। श्री शर्मा तीन याचिकाकर्ताओं में से एक याचिकाकर्ता अशोक कुमार के अधिवक्ता हैं। इस मामले को तीन याचिकाकर्ताओं की ओर से जनहित याचिका के माध्यम से चुनौती दी गयी है। श्री शर्मा ने बताया कि केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने प्रदेश में 323 औद्योगिक इकाइयों को खतरनाक मानते हुए रेड कैटगरी में घोषित किया था। इनमें से 180 इकाइयां आज भी इस में हैं। अदालत ने उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निर्देश दिये कि वह शेष बची 180 इकाइयों का सर्वेक्षण कर क्रियान्वयन रिपोर्ट 10 जून तक अदालत में पेश करें।
इसके साथ ही उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से अदालत को बताया गया कि 17 औद्योगिक इकाइयों में से आठ इकाइयों में प्रदूषण नियंत्रण मानकों का पालन नहीं किया जा रहा है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से उन्हें बंद कर दिया गया है। राज्य विद्युत निगम की ओर से अदालत को बताया गया कि इन इकाइयों की बिजली और पानी बंद कर दी गयी है। शेष आठ इकाइयां के प्रदूषण मानक सही पाये गये हैं। बोर्ड की ओर से अदालत को यह भी बताया गया कि दो अन्य इकाइयों की जांच चल रही है और दोनों इकाइयों की ओर से प्रदूषण मानकों का पालन किया जा रहा है।
इसके बाद मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति नारायण सिंह धनिक की युगलपीठ ने बोर्ड को दोनों इकाइयों के संबंध में उचित निर्णय लेने को कहा है। इस मामले में अगली सुनवाई 13 जून को होगी। बोर्ड की ओर से पिछली सुनवाई को अदालत को बताया गया था कि राज्य विद्युत निगम उन्हें सहयोग नहीं कर रहा है और निमग को जारी नोटिस का क्रियान्वयन नहीं किया जा रहा है। इसके बाद अदालत ने निगम को जवाब देने को कहा था।
उल्लेखनीय है कि केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने मार्च 2016 में प्रदूषण भार के आधार पर उद्योगों का नया वर्गीकरण किया था। जिसमें सबसे अधिक प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों को लाल रंग की श्रेणी में रखा गया है। इनका प्रदूषण सूंचकांक 60 और उससे अधिक रखा गया है। इसके साथ ही श्वेत श्रेणी के तहत व्यावहारिक रूप से गैर प्रदूषणकारी उद्योगों को रखा गया है।
रवीन्द्र उप्रेती
वार्ता
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