राज्य » अन्य राज्यPosted at: May 14 2019 5:49PM हाईकोर्ट ने रिस्पना नदी पर अतिक्रमण मामले में केन्द्र, राज्य सरकार से मांगा जवाबनैनीताल, 14 मई (वार्ता) उत्तराखंड की राजधानी देहरादून की महत्वपूर्ण रिस्पना नदी से सटे नालों पर हो रहे अतिक्रमण को लेकर दायर जनहित याचिका को उच्च न्यायालय ने सुनवाई के लिये स्वीकार कर लिया है। मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति नारायण सिंह धनिक की अदालत ने याचिका को सुनवाई के लिये स्वीकार कर लिया और केन्द्र, राज्य सरकार के अलावा नगर निगम एवं मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण समेत सभी पक्षकारों को जवाब पेश करने को कहा है। मामले में सुनवाई तीन सप्ताह बाद होगी। देहरादून नगर निगम की पार्षद उर्मिला थापा की ओर से जनहित याचिका दायर की गयी है। अधिवक्ता अभिजय नेगी ने बताया कि अदालत ने इस मामले को गंभीरता से लिया और नदी के सहायक नालों एवं गाढ़-गधेरों पर हो रहे अतिक्रमण को लेकर सभी पक्षकारों को फटकार लगायी एवं नाराजगी व्यक्त की। याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि रिस्पना नदी राजधानी की महत्वपूर्ण नदी है। इसके उद्गम क्षेत्र से लेकर राजधानी के आसपास स्थित सहायक गाढ़-गधेरों एवं खालों पर अतिक्रमण बढ़ता जा रहा है। पेड़ों को काटकर निर्माण कार्य किया जा रहा है। याचिकाकर्ता की ओर से अदालत के सामने तीन-चार मामलों का हवाला दिया गया है, जहां अतिक्रमण किया जा रहा है। यह भी कहा गया कि अतिक्रमित गाढ़-गधेरे बरसात में नदी को जीवंतता प्रदान करते हैं। बरसात के समय को छोड़कर ये गाढ़-गधेरे शेष समय में सूख जाते हैं। लेकिन बरसात में रिस्पना एवं बिंदाल नदियों में इनका काफी प्रवाह होता है। इन पर अतिक्रमण होने से नदी को खतरा उत्पन्न हो गया है। प्रशासन की ओर से ऐसे मामलों में कोई कार्यवाही नहीं की गयी है। न ही इनका चिह्निकरण भी किया गया है। सरकार इन मामलों को लेकर बेखबर है। रवीन्द्र, उप्रेतीवार्ता