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जंगली जानवरों पर अंकुश लगाने के लिये आवश्यक कदम उठाये सरकार

नैनीताल, 17 मई (वार्ता) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने प्रदेश के पर्वतीय इलाकों में आतंक का पर्याय बने बंदरों एवं जंगली सूअरों पर अंकुश लगाने के लिये सरकार को कानूनन कार्यवाही करने को कहा है। इसके साथ ही न्यायालय ने इस मामले को लेकर दायर सभी याचिकाओं को पूरी तरह से निस्तारित कर दिया है।
याचिकाकर्ताओं में से एक के अधिवक्ता डी.के. जोशी ने यह जानकारी दी।
श्री जोशी ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति नारायण सिंह धनिक की युगलपीठ ने शुक्रवार को सभी याचिकाओं को निस्तारित कर दिया और सरकार को कानून सम्मत कार्यवाही करने के निर्देश दिये।
अधिवक्ता ने बताया कि जंगली जानवरों के आतंक को लेकर उच्च न्यायालय में जनार्दन लोहुमी (1916), मास्टर आयुष त्रिपाठी (2015), दिव्यांशी भैंसोरा (2016) और ग्रामीण विकास क्षेत्रीय समिति (2016) की ओर से विभिन्न जनहित याचिकायें दायर की गयी थीं।
जनहित याचिकाओं के माध्यम से राज्य में बंदरों एवं जंगली सूअरों के आतंक से राहत दिलाने की मांग की गयी थी। जनहित याचिकाओं में कहा गया था कि ये जंगली जानवर न केवल लोगों पर हमला कर रहे हैं बल्कि पर्वतीय क्षेत्र में किसानों की फसलों को तबाह भी कर रहे हैं।
अदालत ने सरकार को न्यायमित्र अधिवक्ता अकरम परवेज द्वारा दिये गये सुझावों पर भी गौर करने और कार्यवाही करने के निर्देश दिये हैं। अदालत ने अधिवक्ता परवेज को मास्टर आयुष त्रिपाठी की ओर से दायर जनहित याचिका में न्यायमित्र अधिवक्ता नियुक्त किया था। न्यायमित्र अधिवक्ता की ओर से जंगली जानवरों के आतंक को कम करने के लिये कुछ सुझाव पेश किये गये थे।
वर्ष 2015 में अल्मोड़ा जनपद के एक सरकारी स्कूल के छात्रों की ओर से बंदरों के आतंक पर अंकुश लगाने के लिये मुख्य न्यायाधीश को 52 पोस्ट कार्ड भेजे गये थे। छात्रों की ओर से की गयी शिकायत में बताया गया कि किस तरह बंदर छात्र-छात्राओं पर झपटते हैं और कक्षाओं से उनका खाना भी छीन कर ले जाते हैं। उच्च न्यायालय की ओर से स्वतः संज्ञान लेते हुए इस मामले में जनहित याचिका दायर कर ली गयी थी।
साथ ही न्यायालय ने राज्य सरकार और वन विभाग को इस मामले में उचित कार्यवाही करने के भी निर्देश जारी किये थे। इसके बावजूद जब बंदरों का आतंक कम नहीं हुआ तो सरकारी स्कूल के छात्र-छात्राओं की ओर से 2016 में पुनः मुख्य न्यायाधीश को पत्र भेजा गया। इसके बाद अदालत ने केन्द्र, राज्य सरकार और वन विभाग को निर्देश दिया कि जंगली जानवरों के आतंक पर अंकुश लगाने और स्कूलों में बंदरों के आतंक को कम करने के मामले में उठाये गये कदमों के बारे में रिपोर्ट पेश करें।
रवीन्द्र, उप्रेती
वार्ता
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