राज्य » अन्य राज्यPosted at: May 29 2019 5:37PM अशासकीय महाविद्यालयों के कामकाज में पारदर्शिता लायी जाए: रावतदेहरादून 29 मई (वार्ता) उत्तराखंड के उच्च शिक्षा मंत्री डाॅ. धन सिंह रावत ने बुधवार को राज्य वित्त पोषित समस्त अशासकीय महाविद्यालयों में पारदर्शिता लाने, उनके संचालन में आ रही विभिन्न दिक्कतों को दूर करते हुए उनकी गुणवत्ता में सुधार लाने के सम्बन्ध में विचार विमर्श किया। विधानसभा में हुई बैठक में डाॅ. रावत ने कहा कि सरकार सभी महाविद्यालयों में होने वाली नियुक्तियों, संचालन और प्रबन्धन में पूरी तरह से पारदर्शिता और उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने इन महाविद्यालयों में होने वाली नियुक्तियों को उत्तरखंड लोक सेवा आयोग अथवा उच्च शिक्षा संस्थान के माध्यम से करवाते हुए नियुक्तियों में पारदर्शिता लाने, प्रत्येक महाविद्यालय को अनिवार्य रूप से नैक और 12(बी) करवाने के लिए कहा। जिससे इसकी गुणवत्ता बनी रहे और रुसा ग्राण्ट के तहत अनुदान प्राप्त करवाने की बात कही। उन्होंने कहा कि सरकार उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हेतु ऐसे महाविद्यालयों का प्रान्तीयकरण करना चाहती है, इस सम्बन्ध में सभी महाविद्यालय अपने सुझाव प्रेषित करें। साथ ही यह भी कहा कि सेमेस्टर परीक्षा प्रणाली बनाये रखने अथवा हटाने के लिए सभी महाविद्यालयों के प्रबन्धकों और छा़त्र-छात्राओं की राय जानने के लिए कहा है। शिक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार उच्च शिक्षा में व्यापक सुधार करने के मार्ग पर आगे बढ़ना चाहती है और इसके लिए उच्च शिक्षा आयोग और विश्वविद्यालय अधिनियम बनाया जायेगा। जिसे अगले विधान सभा सत्र में लाने पर विचार किया जा रहा है। उन्होंने सभी महाविद्यालयों के प्रबन्धक और सचिवों को निर्देश दिये कि उनके यहाँ खाली पड़े शिक्षणेत्तर (शिक्षण कार्य को छोड़कर अन्य सहायक पद) पदों को छह माह के भीतर भरना सुनिश्चित करें। इसके पश्चात सरकार इन महाविद्यालयों में सभी शिक्षणेत्तर पदों की नियुक्ति उत्तरखण्ड अधीनस्थ चयन सेवा आयोग से सम्पन्न करायेगी। बैठक में महाविद्यालयों के प्रबन्धकों द्वारा अपने सुझाव साझा करते हुए महाविद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने, एकरूपता लाने, नये पदों को सृजित करने और इन्फ्रास्ट्रक्चार बढ़ाने हेतु अनुदान बढ़ाने की मांग की। इस अवसर पर प्रभारी सचिव अशोक कुमार, निदेशक उच्च शिक्षा एस.सी.पंत सहित अशासकीय महाविद्यालयों के प्रबन्धक, सचिव, प्राचार्य आदि मौजूद रहे।सं. उप्रेतीवार्ता