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अनुभव ने फिर बनाया सदानंद गौड़ा को केंद्रीय मंत्री

बेंगलुरु, 30 मई (वार्ता) कर्नाटक के कद्दावर नेता माने जाने वाले सदानंद गौड़ा ने गुरुवार को फिर नरेन्द्र मोदी सरकार मेंं केंद्रीय मंत्री के रूप में शपथ ली।
श्री देवरागुंडा वेंकप्पा सदानंद गौड़ा एक सक्रिय राजनेता और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री हैं। वह चार अगस्त 2011 को बी एस येदियुरप्पा के इस्तीफे के बाद कर्नाटक के 26वें मुख्यमंत्री बने थे। वह मोदी के पहले कैबिनेट में केंद्र सरकार में सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्री थे। वर्ष 2006 में श्री गौड़ा को कर्नाटक भारतीय जनता पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया। वर्ष 2008 में जब पहली बार दक्षिण के किसी राज्य में भाजपा को जीत मिली तो इसका सेहरा गौड़ा के सिर पर ही बांधा गया।
सत्रहवीं लोकसभा चुनाव में बेंगलुरु नॉर्थ संसदीय सीट पर भाजपा उम्मीदवार के तौर पर उतरे श्री गौड़ा ने अपने प्रतिद्वंद्वी और कांग्रेस प्रत्याशी कृष्णा बाइरे गौड़ा को एक लाख सैंतालीस हजार वोटों के अंतर से हराया।
श्री गौड़ा 26 मई 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नवनिर्वाचित सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली थी। उन्हें रेल मंत्रालय के प्रभारी बनाया गया था। उन्होंने आठ जुलाई 2014 को अपना पहला बजट प्रस्तुत किया।
बाद में उन्हें सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गयी। इसके अलावा उनके पास रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार भी था। इससे पहले वह कानून और रेल जैसे अहम मंत्रालयों का जिम्मा भी संभाल चुके हैं।
जुलाई 2012 में, पार्टी में असंतुष्ट गतिविधियों के दौरान जगदीश शेट्टर के लिए रास्ता बनाने के लिए इस्तीफा देने को कहा गया था। मई 2013 के चुनावों में भारी नुकसान उठाने के बाद, भाजपा ने कर्नाटक में विधायी परिषद के विपक्षी नेता के रूप में डीवी सदानंद गौड़ा को चुना था।
अगस्त 2011 में तत्कालीन मुख्यमंत्री बी. एस. येदियुरप्पा को खनन सौदों के लिए भ्रष्टाचार के आरोपों में मुख्यंमत्री पद त्यागना पड़ा। भाजपा पार्टी द्वारा डीवीएस गौड़ा को मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया था और दिसंबर 2011 में कर्नाटक विधान परिषद के लिए चुने गए थे।
श्री गौड़ा ने सेंट फिलोमेना कॉलेज, पुट्टूर से विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की और फिर उडुपी वैकुंटा बालिगा कॉलेज ऑफ लॉ से अपनी डिग्री प्राप्त की। वह कॉलेज के दौरान छात्र राजनीति में सक्रिय हो गए और लॉ कॉलेज के छात्र संघ के महासचिव के रूप में चुने गए। इसके बाद, वह एबीवीपी के जिला महासचिव बने।
बेंगलुरु नार्थ सीट से जीतकर लोकसभा पहुंचे सदानंद गौड़ा छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय थे और सबसे पहले वह जिला स्तर पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के महासचिव बने। जनसंघ से होते हुए भाजपा में आए श्री गौड़ा को 2003-04 में पार्टी का राज्य सचिव चुना गया और उसके बाद 2004 में उन्हें पार्टी के राष्ट्रीय सचिव बनाया गया।
दक्षिण कर्नाटक की पुत्तूर सीट से गौड़ा 1994 में पहली बार विधानसभा पहुंचे। दूसरी बार विधायक बनने पर उन्हें विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी दी गई। वर्ष 2004 में मंगलुरु सीट से जीत कर पहली बार गौड़ा लोकसभा पहुंचे। इस चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वीरप्पा मोइली को 30 हजार से ज्यादा वोटों से शिकस्त दी थी।
इसके बाद भाजपा ने 2009 में सदानंद गौड़ा को उडूपी-चिकमंगलूर सीट से चुनाव लड़ाने का फैसला किया और यहां से जीतकर वह दूसरी बार लोकसभा पहुंचे। वर्ष 2006 में गौड़ा को कर्नाटक भाजपा का अध्यक्ष बनाया गया। वर्ष 2008 में जब पहली बार दक्षिण के किसी राज्य में भाजपा को जीत मिली तो इसका सेहरा गौड़ा के सिर ही बांधा गया। हालांकि तब मुख्यमंत्री का पद श्री बी एस येदियुरप्पा को दिया गया।
कोयला खनन मामले में नाम आने के बाद जब श्री येदियुरप्पा ने पद से इस्तीफा दिया, अगस्त 2011 में उनकी जगह गौड़ा को कर्नाटक का मुख्यमंत्री बनाया गया। मुख्यमंत्री बनने के बाद भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरी भाजपा सरकार की छवि फिर सुधारने में श्री गौड़ा ने अहम भूमिका निभाई। उन पर हालांकि पार्टी को एकजुट न रखने का आरोप लगने की वजह से उनसे जुलाई 2012 में इस्तीफा ले लिया गया और जगदीश शेट्टार को कर्नाटक की कमान सौंपी गयी।
संजय.श्रवण
वार्ता
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