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गैर हिन्दी भाषी राज्यों में राधाकृष्णन ने हिन्दी थोपे जाने का विरोध किया

पुड्डुेचेरी,02 जून(वार्ता) पुड्डुचेरी से पूर्व लोकसभा सांसद आर राधाकृष्णन ने गैर हिन्दी भाषी राज्यों में हिन्दी भाषा को थोपे जाने का जोरदार विरोध करते हुए रविवार को केन्द्र सरकार से आग्रह किया कि वह प्रस्ताव पर विचार नहीं करे।
श्री राधाकृष्णन ने यहां जारी एक वक्तव्य में कहा कि कस्तूरीरंगन समिति ने गैर हिन्दी भाषी राज्यों में तीन भाषाओं के फार्मूले की सिफारिश की थी और केन्द्र सरकार का इस तरह का फैसला राज्यों को उनके अधिकारों से उन्हें वंचित करना होगा। गैर हिन्दी भाषी राज्यों में हिन्दी भाषा को लागू किए जाने को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। प्रत्येक व्यक्ति को कोई भी भाषा सीखने तथा बोलने की आजादी है और किसी खास भाषा सीखने के लिए किसी भी व्यक्ति को मजबूर नहीं किया जा सकता है।
उन्होंने पुड्डुचेरी में दो भाषा की नीति की मांग करते हुए कहा कि भौगोलिक तौर पर यह केन्द्र शासित प्रदेश चार क्षेत्रोंं- पुड्डुचेरी, कराईकल( दोनों तमिल भाषी क्षेत्र), माहे( मलयालम बोला जाने वाला क्षेत्र) और यानम( तेलुगू भाषी क्षेत्र) में बंटा हुआ है। इन भाषाओं के अलावा यहां अंग्रेजी भाषा भी पढ़ाई जा रही है और इसे देखते हुए इन क्षेत्रों में दो भाषा की नीति जारी रखनी चाहिए तथा हिन्दी भाषा को अनिवार्य तौर पर सीखने की मांग कतई भी स्वीकार नहीं की जा सकती है।
जितेन्द्र राम
वार्ता
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