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‘खुशियों की सवारी’ का संचालन बन्द होने से सामाजिक संस्था चिंतित

देहरादून 09 जून (वार्ता) उत्तराखंड सरकार द्वारा प्रसूताओं को चिकित्सालय लाने और वापस घर छोड़ने के लिये शुरू की गई आपातकाल वाहन सेवा ‘खुशियों की सवारी’ बन्द हो जाने से उत्पन्न स्थिति पर जन संघर्ष मोर्चा ने चिंता व्यक्त की है।
मोर्चा के अध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने संवाददाताओं को बताया कि खुशियों की सवारी सेवा के लिये राज्य सरकार का जीवीके नामक संगठन के साथ हुआ समझौता 30 अप्रैल 2019 को समाप्त हो गया। उन्होंने आरोप लगाया कि चिकित्सा विभाग की लापरवाही के कारण महत्वपूर्ण जनसेवा के लिये किसी अन्य कम्पनी से भी समझौता नहीं किया गया।
श्री नेगी ने बताया कि खुशियों की सवारी नाम से प्रचलित इस आपात एम्बुलेंस सेवा के माध्यम से राज्य भर में लगभग 300 प्रसूताओं को उनके घर पर सुरक्षित छोड़ा जाता था। उन्होंने बताया कि हैरानी की बात है उक्त कार्यकाल की समाप्ति से पहले स्वास्थ्य विभाग द्वारा निविदा प्रक्रिया प्रारम्भ कर दी गयी थी, लेकिन कुछ तकनीकी कमियों के चलते निविदा को निरस्त कर दिया गया।
उन्होंने इस स्थिति के लिये विभागीय मन्त्री की अनुभवहीनता को जिम्मेदार बताते हुये कहा कि इसकी वजह से उक्त सेवा ‘खुशियों की सवारी’ दम तोड़ती नजर आ रही है।
सं राम
(वार्ता)
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