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चुनाव में भ्रष्टाचार को लेकर राज्य चुनाव आयोग से जवाब तलब

नैनीताल 19 जून (वार्ता) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य में जिला पंचायत अध्यक्ष और क्षेत्र पंचायत प्रमुख (ब्लाक प्रमुख) के चुनाव में कथित भ्रष्टाचार को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग से दो सप्ताह के भीतर हलफनामा दायर करने का आदेश दिया है।
मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ ने विकासनगर देहरादून निवासी एवं पूर्व मंडी अध्यक्ष विपुल जैन की ओर से दायर जनहित याचिका पर मंगलवार को हुई सुनवाई के बाद ये आदेश जारी किये।
याचिकाकर्ता के वकील अभिजय नेगी ने बुधवार को यहां यह जानकारी दी। याचिका मेें दोनों पदों के चुनाव सीधे जनता से कराये जाने को की मांग की गयी थी जिसकी हुए ने राज्य निर्वाचन आयोग को दो सप्ताह के अंदर एक शपथपत्र पेश करने को कहा है। अदालत ने राज्य निर्वाचन आयोग से पूछा है कि राज्य बनने के बाद दोनों पदों के चुनावों को लेकर उसके पास कितनी शिकायतें आयी हैं और आयोग की ओर से उन शिकायतों पर क्या कार्यवाही अमल में लायी गयी है।
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि राज्य में 13 जिला पंचायत अध्यक्ष और 96 ब्लाक प्रमुखों के पद हैं। जनता त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के माध्यम से क्षेत्र पंचायत सदस्यों और जिला पंचायत सदस्यों का चयन करती है। ये सदस्य मिलकर क्रमशः ब्लाक प्रमुख तथा जिला पंचायत अध्यक्षों का चयन करते हैं।
याचिकाकर्ता की ओर से आगे कहा गया कि ब्लाक प्रमुख एवं जिला पंचायत अध्यक्ष के पदाें के लिये राजनीतिक दलों के बीच जोर आजमाइश होती है। धन और बल का प्रयोग किया जाता है। तय नियमों और कायदा-कानूनों का खुला उल्लंघन होता है। इससे जहां एक ओर अपहरण और अन्य अपराधों को बढ़ावा मिलता है वहीं इससे लोकतंत्र की भावना के साथ खिलवाड़ होती है।
याचिकाकर्ता की ओर से उच्चतम न्यायालय के उप्र प्रधान संघ क्षेत्रीय समिति बनाम उप्र सरकार एवं विशाखा बनाम राजस्थान सरकार मामले का उदाहरण देते हुए उच्च न्यायालय से इन चुनावों के लिये विस्तृत गाइड लाइन तैयार करवाने तथा सरकार को उन गाइड लाइनों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिये निर्देशित करने की मांग की गयी है।
श्री नेगी ने बताया कि केन्द्र और राज्य सरकार की ओर से भी इस मामले में जवाब पेश किया गया है और दोनों ने भ्रष्टाचार की बात को नकारा है। इसके बाद याचिकाकर्ता की ओर से एक अर्जी दायर कर राज्य निर्वाचन आयोग से अभी तक आयी शिकायतों का ब्यौरा प्रस्तुत करने की मांग की गयी। हालांकि आयोग की ओर से उसका विरोध किया गया लेकिन अंत में अदालत ने आयोग से एक शपथपत्र के माध्यम से राज्य बनने के बाद अभी तक आयी शिकायतों का ब्यौरा प्रस्तुत करने को कहा है। साथ ही अदालत ने यह भी पूछा है कि आयोग ने उन पर क्या कार्रवाई की है।
रवीन्द्र.संजय
वार्ता
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