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प्राकृतिक खेती सम्बन्धित पालेकर कृषि मॉडल पर उत्तराखंड में होगा अध्ययन : त्रिवेंद्र

देहरादून, 20 जून (वार्ता)उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कृषकों को रासायनिक और परम्परागत खेती के स्थान पर प्राकृतिक खेती के प्रति प्रेरित करने के उद्देश्य से आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में राज्य के पालेकर कृषि मॉडल पर विस्तृत अध्ययन का भरोसा दिलाया है।
श्री रावत ने गुरुवार को एक स्थानीय सभागार में दीप प्रज्ज्वलित कर प्राकृतिक खेती पर आयोजित इस कार्यशाला का उद्घाटन करते हुये कहा कि पालेकर कृषि माॅडल हिमाचल प्रदेश में भी सफल हुआ है। उत्तराखण्ड में इस माॅडल पर विस्तृत अध्ययन कराया जायेगा और मुख्य सचिव की अध्यक्षता में इसके लिए एक कमेटी भी बनाई जायेगी।
श्री रावत ने कहा कि उत्पादन बढ़ाने तथा उसकी लागत कम करने के लिए प्राकृतिक कृषि से संबंधित पालेकर कृषि माॅडल उपयोगी साबित हो सकता है। विशेषकर उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों में प्राकृतिक कृषि काफी कारगर साबित हो सकती है। प्राकृतिक खेती में जैव अवशेषों, कम्पोस्ट व प्राकृतिक संसाधनों का प्रयोग किया जाता है, जो पर्वतीय क्षेत्र में आसानी से उपलब्ध होते हैं। प्राकृतिक खेती से कृषकों पर व्यय भार भी नहीं पड़ेगा व उत्तम गुणवत्ता के उत्पादों में भी इजाफा होगा। प्राकृतिक खेती कृषि, बागवानी व सब्जी उत्पादन के लिए उपयोगी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि खेती में रासायनिक उत्पादों का प्रयोग कम से कम हो इसके लिए राज्य में प्रभावी प्रयास हुए हैं। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती पर कौशल विकास एंव कृषि विभाग के माध्यम से प्रशिक्षण भी दिया जायेगा।
मुख्य वक्ता पद्मश्री सुभाष पालेकर ने कार्यक्रम में कहा कि प्राकृतिक खेती पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। इसमें लागत ना के बराबर है, जबकि यह मृदा (मिट्टी)की उर्वरा शक्ति को बनाये रखने व शुद्ध पौष्टिक आहार का एक उत्तम जरिया है।
उन्होंने कहा कि उद्योग तथा रासायनिक कृषि वैश्विक तापमान वृद्धि के प्रमुख कारक हैं। प्राकृतिक खेती को एक मिशन के रूप में लिया जा रहा है। इसके लिए किसी भी प्रकार के अतिरिक्त बजट की आवश्यकता नहीं है। यह कृषि राज्य में उपलब्ध संसाधनों से आगे बढ़ाई जा सकती है।
उन्होंने कहा कि हिमाचल में प्राकृतिक कृषि पर कार्य किया जा रहा है और जिसके अच्छे परिणाम मिल रहे हैं। उत्तराखण्ड एवं हिमाचल की भौगोलिक तथा आर्थिक स्थिति में काफी समानता है। देश की कृषि व्यवस्था सुदृढ़ होगी तो आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी।
इस अवसर पर विधायक खजानदास, रेशम बोर्ड के अध्यक्ष अजीत चौधरी, बीज बचाओ आन्दोलन के प्रणेता विजय जड़धारी, सचिव कृषि डी सेंथिल पांडियन, डाॅ. देवेन्द्र भसीन, वृजेन्द्र पाल सिंह व विभिन्न विश्वविद्यालयों के कृषि विशेषज्ञ उपस्थित थे।
सं जितेन्द्र
वार्ता
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