Friday, Mar 29 2024 | Time 12:38 Hrs(IST)
image
राज्य » अन्य राज्य


केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव, दिल्ली एम्स के निदेशक को अवमानना नोटिस जारी

नैनीताल, 29 जून (वार्ता) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने बहुचर्चित भारतीय वन सेवा (आईएफएस) अधिकारी एवं मैगसेसे पुरस्कार विजेता संजीव चतुर्वेदी के मामले में केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव प्रीति सूदन और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली के निदेशक डाॅ. रणदीप गुलेरिया को अवमानना नोटिस जारी कर दोनों से पूछा है कि क्यों न आपके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही अमल में लायी जाये? दोनों को इस मामले में 26 जुलाई तक जवाब पेश करना है।
न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की पीठ ने संजीव चतुर्वेदी की ओर से दायर अवमानना याचिका की सुनवाई के बाद ये निर्देश जारी किये हैं। श्री चतुर्वेदी ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय के 21 अगस्त, 2018 को दिये गये आदेश का अनुपालन नहीं करने के मामले में केन्द्र सरकार के खिलाफ विगत 25 जून को अवमानना याचिका दायर की थी। न्यायालय ने अपने आदेश में केन्द्र सरकार पर 25 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया था। श्री चतुर्वेदी वर्तमान में उत्तराखंड के हल्द्वानी में वन संरक्षक (अनुसंधान) के पद पर तैनात हैं।
अदालत ने 26 जून को अवमानना याचिका पर सुनवाई की। आदेश की प्रति शनिवार को मिली। अवमानना याचिका पर सुनवाई के बाद अदालत ने केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव प्रीति सूदन और एम्स दिल्ली के निदेशक डाॅ. गुलेरिया को अवमानना नोटिस जारी किया है और कहा कि आपके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही क्यों न अमल में लायी जाये?
गत 25 जून को दाखिल अवमानना याचिका में कहा गया कि प्रतिवादी केन्द्र सरकार की ओर से उच्च न्यायालय के 21 अगस्त 2018 के आदेश का अनुपालन आज तक नहीं किया गया है। प्रतिवादी की ओर से याचिकाकर्ता को भी इस मामले में कोई सूचना नहीं भेजी गयी है। इसलिये यह अवमानना अधिनियम, 1971 की धारा 2(ख) का स्पष्ट उल्लंघन है।
यह मामला 2015-16 से जुड़ा हुआ है। तब श्री चतुर्वेदी केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति में दिल्ली के एम्स में उप सचिव/मुख्य सतर्कता अधिकारी के तौर पर तैनात थे। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कुछ भ्रष्टाचार के मामले उजागर किये थे। इसके बाद उनकी वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट में प्रविष्टि को कम कर दी गयी थी। वह 2012 से 2016 तक दिल्ली स्थित एम्स में मुख्य सतर्कता अधिकारी के रूप में तैनात रहे।
श्री चतुर्वेदी ने जून 2017 में अपनी वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट के उन्नयन के संबंध में उत्तराखंड उच्च न्यायालय से सम्पर्क किया। न्यायालय ने उन्हें केन्द्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) में जाने को निर्देश दिया। इसके बाद उन्होंने कैट की नैनीताल सर्किट बेंच में आवेदन किया। सर्किट बेंच ने जुलाई 2017 में उनके मामले में सुनवाई शुरू की और उन्हें सितम्बर 2017 में अंतरिम राहत प्रदान की लेकिन मामले में दिसंबर 2017 में मोड़ आ गया। एम्स दिल्ली की ओर से कैट के चेयरमैन के समक्ष एक याचिका दायर कर श्री चतुर्वेदी के मामले को कैट की प्रमुख बेंच दिल्ली में स्थानांतरण करने की गुहार लगायी गयी। इसके बाद कैट के चेयरमैन ने नैनीताल सर्किट बेंच में श्री चतुर्वेदी के मामले की सुनवाई पर रोक लगा दी।
श्री चतुर्वेदी ने भी हार नहीं मानी और कैट के चेयरमैन के आदेश को 14 अगस्त 2018 को उत्तराखंड उच्च न्यायालय में चुनौती दे दी। न्यायालय ने 21 अगस्त 2018 को कैट के चेयरमैन के आदेश को खारिज कर दिया। साथ ही कैट की नैनीताल स्थित सर्किट बेंच को निर्देश दिये कि श्री चतुर्वेदी के आवेदन को छह माह में निस्तारित करें।
इसके बाद एम्स की ओर से उच्च न्यायालय के आदेश को विशेष अपील के माध्यम से उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गयी। शीर्ष न्यायायलय ने फरवरी 2019 में उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखते हुए एम्स की अपील को खारिज कर दिया। इसके बाद श्री चतुर्वेदी की ओर से विगत 25 जून को उच्च न्यायालय में अवमानना याचिका दाखिल की गयी।
रवीन्द्र, उप्रेती
वार्ता
More News
बेंगलुरु कैफे विस्फोट का मुख्य साजिशकर्ता गिरफ्तार: एनआईए

बेंगलुरु कैफे विस्फोट का मुख्य साजिशकर्ता गिरफ्तार: एनआईए

28 Mar 2024 | 11:38 PM

चेन्नई, 28 मार्च (वार्ता) राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने एक बड़ी सफलता प्राप्त करते हुए गुरुवार को एक मार्च को बेंगलुरु के रामेश्वरम कैफे में हुए विस्फोट मामले में एक प्रमुख साजिशकर्ता को गिरफ्तार किया।

see more..
image