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भाजपा प्रत्याशियों पर दबाव डाल रही:माकपा, भाजपा का इंकार

अगरतला 12 जुलाई (वार्ता) त्रिपुरा में विपक्षी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में नाम वापसी के आखिरी दिन गुरुवार को 121 उम्मीदवारों पर नामांकन वापस लेने का दबाव डालने का शुक्रवार को आरोप लगाया जबकि भाजपा ने इससे साफ इंकार किया है।
माकपा ने आरोप लगाया कि भाजपा ने 121 सीटों के उम्मीदवारों पर नाम वापस लेने का दबाव पुलिस और चुनाव अधिकारियाें की मौजूदगी में डाला। पार्टी ने पश्चिम त्रिपुरा के दुकली और कलाचार्रा के प्रखंड विकास अधिकारियों (बीडीओ) के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए आरोप लगाया कि भाजपा कार्यकर्ताओं ने इन अधिकारियों की मौजूदगी में वाम मोर्चा के उम्मीदवारों पर नाम वापस लेने का दबाव डाला।
माकपा ने एक बयान में आरोप लगाया कि भाजपा कार्यकर्ता वाम मोर्चा के उम्मीदवारों को अपनी उम्मीदवारी वापस लेने की धमकी दे रहे थे। कुछ स्थानों पर विरोध होने के कारण सत्ता पक्ष अपने दबाव को बनाए रखने में सक्षम नहीं हो सका। लेकिन वे 64 ग्राम पंचायतों, 32 पंचायत समितियों और 25 जिला परिषद सीटों के उम्मीदवाराें से उम्मीदवारी वापस लेने के लिए मजबूर करने में सफल रहे।
माकपा राज्य समिति के सदस्य पवित्रा कार ने कहा,“भाजपा के कार्यकर्ता लगातार उम्मीदवारों पर नामांकन वापस लेने का दबाव बनाये हुए हैं तथा ऐसा न करने पर उनके घरों को जलाने और उनकी आजीविका के साधन प्रभावित करने की धमकी दे रहे हैं। यह मामला चुनाव आयोग के संज्ञान में लाया गया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। यहां तक कि हमारे लोगों को रिटर्निंग अधिकारियों के सामने ही धमकाया गया।”
उन्होंने कहा,“हम यह सुनकर हैरान हैं कि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने अपने स्थानीय नेताओं को निर्देश दिया था कि वे विपक्ष को चुनाव में भाग लेने की अनुमति न दें।” उन्हें बताया गया है कि अगर विपक्ष अपने संबंधित क्षेत्रों में चुनाव लड़ता है, तो यह उनकी बदनामी होगी, जो लोकतंत्र में सबसे खतरनाक प्रवृत्ति है और गांवों में परिवार के सदस्यों और पड़ोसियों में घृणा पैदा करता है।”
श्री कार ने आरोप लगाया कि पिछले 15 महीनों में बिप्लब कुमार देब के शासन में विपक्षी समर्थकों पर राजनीतिक हिंसा और हमले ने त्रिपुरा ने नया रिकॉर्ड बनाया है। हिंसा की घटनाओं और अपराधों ने केवल भाजपा की मानसिकता को ही उजागर नहीं किया है बल्कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और मुख्यमंत्री की विफलता को भी साबित किया है।
उन्होंने पंचायत चुनाव को ‘छलावा’ बताते हुए दावा किया कि नामांकन प्रक्रिया के दौरान 85 प्रतिशत से अधिक सीट पर विपक्षी उम्मीदवारों को अपनी उम्मीदवारी रखने तक की अनुमति नहीं दी गयी। जहां भी उम्मीदवारों ने नामांकन जमा किया है, वे अब पिछले साल के पंचायत उपचुनाव और लोकसभा चुनावों के बाद से अपनी जान पर खतरा सहित कई गंभीर समस्याआें का सामना कर रहे हैं।
भाजपा प्रवक्ता नवेंदु भट्टाचार्जी ने इन आरोपों से साफ इंकार करते हुए कहा,“माकपा नेताओं के बयान से उनकी घबराहट का संकेत मिलता है। हम यह कहते रहे हैं कि अगर कोई भी अवैध काम करता है तो कृपया पुलिस में शिकायत दर्ज करें और हमें एफआईआर की प्रति भेजें और हम सजा सुनिश्चित करेंगे। लेकिन दुर्भाग्य से उनके 80 प्रतिशत आरोपों में कोई पुलिस रिकॉर्ड ही नहीं था और अब तक अधिकतम भाजपा कार्यकर्ता राजनीतिक हिंसा के शिकार हैं।”
उन्होंने दोहराया कि भाजपा ने कभी भी विपक्ष को उम्मीदवार को चुनाव मैदान में उतारने से नहीं रोका बल्कि लोकतंत्र को मजबूत करने में मदद के लिए उन्हें पार्टी की ओर से सम्मानित करने की भी पेशकश की। लेकिन झूठे और मनगढ़ंत आरोपों को छोड़कर कभी भी विपक्ष की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई।
श्री भट्टाचार्जी ने कहा कि हम अपने समर्थन आधार का आकलन करने के लिए भी चुनाव लड़ना चाहते हैं लेकिन विपक्ष ने हमारी मदद नहीं की। माकपा कैडर भाजपा पर हमला करते रहे हैं और वे अपने पिछले हिसाब को चुकाने की लड़ाई में शामिल हैं।”
संजय, प्रियंका
वार्ता
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