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आरटीआर के पूर्व निदेशक सोनकर को हाईकोर्ट से लगा झटका

नैनीताल 26 जुलाई (वार्ता) भारतीय वन सेवा के अधिकारी (आईएफएस) एवं राजाजी टाइगर रिजर्व (आरटीआर) के पूर्व निदेशक सनातन सोनकर को उच्च न्यायालय से उस समय झटका लगा जब उनकी याचिका को खारिज कर दिया। जिसमें उन्होंने आरटीआर में हुए एक बाघ समेत चार वन्य जीवों की मौत संबंधी सरकार की जांच रिपोर्ट पर सवाल उठाये हैं। अदालत ने याचिका को अपरिपक्व मानते हुए खारिज कर दिया।
पिछले साल मार्च में उत्तराखंड के हरिद्वार स्थित राजाजी नेशनल पार्क में एक बाघ और चार तेंदुओं की मौत का मामला प्रकाश में आया था। वन विभाग के अधिकारियों ने राजाजी नेशनल पार्क के मोतीचूर रेंज से 22 मार्च, 2018 को चार गड्ढों से एक बाघ और चार तेंदुओं के शवों के अंग बरामद किये थे। इसके बाद वन विभाग की ओर से मुख्य वन संरक्षक मनोज चंद्रन की अगुवाई में जांच कराई गयी थी।
रिपोर्ट में आरटीआर के पूर्व निदेशक सनातन सोनकर समेत 11 अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध पायी गयी है। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ में हुई। अदालत ने याचिका को खारिज करने संबंधी आदेश 24 जुलाई को दिया लेकिन आदेश की प्रति आज प्राप्त हुई है।
सोनकर की याचिका पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अदालत ने अपने आदेश में कहा कि आईएफएस अधिकारी मनोज चंद्रन की जांच रिपोर्ट वन्य जीवों की मौत से जुड़ी जनहित याचिका में उच्च न्यायालय में विचाराधीन है जिसमें आरोपी के तौर पर वर्तमान याचिकाकर्ता सोनकर का भी नाम शामिल है। अदालत ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि याचिकाकर्ता ने प्रतिक्रियास्वरूप श्री चंद्रन की जांच रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए वर्तमान याचिका दायर की है।
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता के मामले में सरकार की ओर से श्री चंद्रन की जांच रिपोर्ट पर फिलहाल कोई कार्यवाही नहीं की गयी है। ऐसे में जांच रिपोर्ट पर पहले से ही सवाल उठाना उचित नहीं है। अदालत ने कहा कि संविधान की धारा 226 के तहत याचिकाकर्ता को कोई अधिकार नहीं है।
अदालत ने कहा कि हालांकि यदि राज्य सरकार जांच रिपोर्ट के आधार पर याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई कार्यवाही करती है तो याचिकाकर्ता के लिये अदालत का दरवाजा खुला है। अदालत ने आगे कहा कि ऐसी स्थिति में याचिकाकर्ता कानूनी लाभ पाने का हकदार है और कहा कि ऐसी स्थिति में अदालत पूरी तरह संतुष्ट है कि याचिका समय से पहले दायर की गयी है और अपरिपक्व है और उसे खारिज किया जाता है।
रवीन्द्र, उप्रेती
वार्ता
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