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देश में बाघों की नयी राजधानी बनकर उभरा है उत्तराखंड

नैनीताल, 27 जुलाई (वार्ता) उत्तराखंड भारत के बाघों की राजधानी के रूप में उभर रहा है। उत्तराखंड के हर जिले में बाघों की उपस्थिति पायी गयी है।
कुमाऊं के मुख्य वन संरक्षक पराग मधुकर धकाते ने यह दावा किया है। वन विभाग के साथ साथ राज्य सरकार इन अध्ययनों से काफी उत्साहित है और केन्द्र सरकार को इस संबंध में रिपोर्ट भेजेगी।
श्री धकाते ने बताया कि उत्तराखंड में 1995 से 2019 के बीच किये गये विभिन्न शोधों व अध्ययनों से इस निष्कर्ष पर पहुंचा गया है। उन्होंने बताया कि इस दौरान विभिन्न डब्ल्यूआईआई के रिपोर्टों के अलावा विभिन्न समय में लगाये गये कैमरा ट्रेपों व मीडिया रिपोर्टों को आधार बनाया गया है। प्रिंट व इलैक्ट्रानिक मीडिया की रिपोर्टों के अलावा वन कर्मचारियों और ग्रामीणों द्वारा बाघों के प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष साक्ष्य जैसे पगमार्क, चिन्ह इत्यादि को भी आधार बनाया गया है।
उन्होंने कहा कि भौगालिक रूप से देखा जाय तो उत्तराखंड उच्च हिमालय, मध्य हिमालय के अलावा तराई के मैदानी हिस्सों में बंटा हुआ है। खास बात यह है कि इन तीनों हिस्सों में बाघों की उपस्थिति के संकेत मिले हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश के दो गढ़वाल व कुमाऊं मंडल में 13 जिले मौजूद हैं और सभी में बाघों की उपस्थिति दर्ज की गयी है। उत्तराखंड देश का अकेला ऐसा राज्य बन गया है। देश में उत्तराखंड के अलावा मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र व राजस्थान ही ऐसे राज्य हैं जहां बाघ की उपस्थिति दर्ज की गयी है लेकिन उत्तराखंउ में हर जिले में बाघ की उपलब्धता पायी गयी है। यह न केवल उत्तराखंड बल्कि पूरे देश के लिये उत्साहित करने वाली खबर है।
श्री धकाते ने बताया कि उत्तराखंड के भौगालिक क्षेत्रफल का 12 प्रतिशत हिस्सा संरक्षित क्षेत्र है। जिसमें 6 राष्ट्रीय उद्यान, 7 वन्य जीव अभ्यारण्य तथा चार संरक्षित रिजर्व शामिल हैं। राष्ट्रीय उद्यानों में कार्बेट नेशनल पार्क, फूलों की घाटी व नंदा देवी नेशनल पार्क शामिल हैं। इसके साथ ही कार्बेट टाइगर रिजर्व व राजाजी टाइगर रिजर्व मौजूद हैं। एक रिपोर्ट अनुसार उत्तराखंड में 71.03 प्रतिशत वन क्षेत्र है।
सं, शोभित
वार्ता
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