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बाघों की संख्या के मामले में उत्तराखंड तीसरे स्थान पर

नैनीताल 29 जुलाई (वार्ता) वन्य जीवों के ऐशगाह कहे जाने वाले उत्तराखंड में बाघों की संख्या वर्ष 2018 की गणना के अनुसार 442 हुई। बाघ संरक्षण के मामले में पहला स्थान मध्यप्रदेश और दूसरा स्थान कर्नाटक और इसके बाद उत्तराखंड का नाम सूची में तीसरे स्थान पर है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस पर राजधानी दिल्ली में ‘ऑल इंडिया टाइगर इस्टीमेशन -2018’ की रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट में अखिल भारतीय स्तर पर बाघों की गणना में बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2006 के मुकाबले वर्ष 2018 तक देश में बाघों की संख्या में अभूतपूर्व बढ़ोतरी हुई है। यह संख्या दुगनी से अधिक पहुंच गयी है। रिपोर्ट के अनुसार देश में पिछले वर्ष 2018 की गणना में बाघों की कुल संख्या 2967 पहुंच गयी है। वर्ष 2006 में यह संख्या कुल 1411 थी।
देवभूमि उत्तराखंड में भी बाघों की संख्या में अभूतपूर्व बढ़ोतरी हुई है। रिपोर्ट के अनुसार 2018 में प्रदेश में बाघों की संख्या 442 पहुंच गयी है। बाघों के संरक्षण के मामले में राष्ट्रीय स्तर पर उत्तराखंड तीसरे स्थान पर है। मध्य प्रदेश 526 के साथ पहले तो कर्नाटक 524 बाघों की संख्या के साथ दूसरे स्थान पर है। उत्तराखंड में वर्ष 2006 में हुई गणना में बाघों की संख्या 178 थी। वर्ष 2010 में यह संख्या 227 पहुंच गयी थी जबकि इससे ठीक चार साल बाद 2014 में कुल संख्या 340 पहुंच गयी थी। हर चार साल में बाघों की गणना राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनसीटीए) की ओर से की जाती है।
जहां तक उत्तराखंड का प्रश्न है वन विभाग की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार राज्य में सभी 13 जिलों में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से बाघों की उपलब्धता पायी गयी है। उच्च हिमालय से लेकर शिवालिक की पहाड़ियों के अलावा तराई के सभी इलाकों में बाघों की उपस्थिति दर्ज की गयी है।
कुमाऊं के मुख्य वन संरक्षक पराग मधुकर धकाते ने बताया कि उत्तराखंड के भौगोलिक क्षेत्रफल का 12 प्रतिशत हिस्सा संरक्षित क्षेत्र है। जिसमें छह राष्ट्रीय उद्यान, सात वन्य जीव अभ्यारण्य तथा चार संरक्षित रिजर्व शामिल हैं। राष्ट्रीय उद्यानों में कार्बेट नेशनल पार्क, फूलों की घाटी और नंदा देवी नेशनल पार्क शामिल है। साथ ही कार्बेट टाइगर रिजर्व एवं राजाजी टाइगर रिजर्व मौजूद हैं। इंडिया स्टेट आॅफ फारेस्ट रिपोर्ट-2017 के अनुसार उत्तराखंड का कुल भौगालिक क्षेत्रफल का 71.03 प्रतिशत क्षेत्र वन है।
श्री धकाते इस सफलता पर गौरवान्वित हैं। उन्होंने कहा कि पिछले 12 सालों में उत्तराखंड बाघों के संरक्षण के मामले में लगातार सफल रहा है। राज्य के लिये यह गौरव की बात है। उन्होंने इसका श्रेय वन विभाग के कार्मिकों के साथ-साथ स्थानीय जनता को दिया है। उन्होंने कहा कि इस चुनौती को आगे भी कायम रखना होगा।
रवीन्द्र, उप्रेती
वार्ता
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