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54 स्टोन क्रशरों के मामले में सरकार से जवाब तलब

नैनीताल 29 जुलाई (वार्ता) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य में नियमों को ताक पर रखकर संवेदनशील इलाकों में खोले जा रहे स्टोन क्रशरों के मामले में राज्य सरकार और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से बुधवार तक स्थिति स्पष्ट करने को कहा है।
मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा ने आनंद सिंह नेगी की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद सोमवार को ये निर्देश जारी किये। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि सरकार ने नियमों को ताक पर रखकर एक जनवरी 2018 से मार्च 2019 के बीच प्रदेश में 54 स्टोन क्रशरों को स्थापित करने की अनुमति दे दी है। ये स्टोन क्रशर प्रदेश के बेहद संवेदनशील क्षेत्रों में पांच साल खोलने की अनुमति दी गयी है।
याचिकाकर्ता के वकील दुष्यंत मैनाली ने बताया कि राज्य सरकार ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अनुमति के बिना स्टोन क्रेशर लगाने की अनुमति प्रदान की है जो गलत है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को मौका मुआयना करने के बाद सरकार को स्टोन क्रशरों को स्थापित करने की अनुमति प्रदान करनी करनी चाहिए थी लेकिन सरकार ने इन प्रावधानों का पालन नहीं किया है। यही नहीं सरकार ने गांवों के आसपास लगाये जाने वाले इन स्टोन क्रशरों में ध्वनि प्रदूषण के लिये निर्धारित मानकों का ध्यान नहीं रखा है।
श्री मैनाली ने बताया कि ये स्टोन क्रेशर उत्तरकाशी, रूद्रप्रयाग, हरिद्वार, देहरादून, पौड़ी गढ़वाल समेत नैनीताल और उधमसिंह नगर जिलों में खोलने की अनुमति दी गयी है। उन्होंने बताया कि मामले को सुनने के बाद अदालत ने सरकार और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को जनहित याचिका में उठाये गये बिन्दुओं पर बुधवार तक स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिये हैं।
रवीन्द्र.संजय
वार्ता
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