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त्रिपुरा सरकार के मोटर रिक्शा पर प्रतिबंध नहीं लगाने संबंधी याचिका खारिज

अगरतल्ला, 31 जुलाई (वार्ता) त्रिपुरा उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार के साइकिल रिक्शाें को मोटर रिक्शा में परिवर्तित करने वाले रिक्शाें पर एक साल तक प्रतिबंध नहीं लगाने संबंधी याचिका खारिज कर दी है और सरकार को तुरंत न्यायालय के आदेश का पालन करने को कहा है।
राज्य सरकार के अदालत के आदेश का पालन करने के लिए और वक्त की मांग को लेकर दायर की गयी याचिका पर मुख्य न्यायाधीश संजॉय कारोल और न्यायमूर्ति अरिंदम लोध की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान इस बात पर गौर किया कि परिवर्तित रिक्शा यात्रियों के लिए सुरक्षित नहीं है।
राज्य सरकार के रिक्शा चालकों के बेरोजगार होने को लेकर खंड पीठ ने सरकार से उनकी जीविका को लेकर कार्य योजना बनाने के लिए कहा है। इसके साथ ही पीठ ने कहा कि वह यात्रियों की सुरक्षा को देखते हुए इन रिक्शों को चलने की मंजूरी नहीं दे सकते।
साइकिल रिक्शा को मोटर रिक्शा में बदलना गैर-कानूनी है और यह कार्य प्रशासन के सामने चल रहा था तथा इस मामले में राज्य सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की। इस वर्ष फरवरी में एक वकील द्वारा त्रिपुरा उच्च न्यायलय में मोटर रिक्शा पर प्रतिबंध लगाने को लेकर जनहित याचिका दायर की गयी थी जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने तुरंत परिवर्तित मोटर रिक्शा पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था लेकिन इस वर्ष मई तक राज्य सरकार की ओर से इस आदेश का पालन नहीं किया गया।
दो महीने पहले त्रिपुरा उच्च न्यायालय की खंड पीठ ने अदालत की अवमानना करने संबंधी याचिका पर सुनवाई करते हुए अगरतला नगरपालिका आयुक्त को दोबारा निर्देश दिए और तुरंत इस पर प्रतिबंध लगाने की बात कही थी। मोटर रिक्शा काफी तेज गति से चलते हैं जिसके कारण कई बार यह दुर्घटना का शिकार हो चुके हैं। पिछले वर्ष इन हादसों में बच्चों की मौत हुई थी।
चूंकि परिवर्तित रिक्शा में कोई सुरक्षा इंतजाम नहीं हैं, इसलिए यात्रियों के लिए इसमें सफर करना खतरनाक है। अदालत के फैसले के बाद राज्य सरकार के सामने 10 हजार परिवर्तित रिक्शा चालकों और उनके परिजनों के जीवनयापन का संकट आ गया है।
न्यायालय ने कहा कि उनके लिए यात्रियों की सुरक्षा गैर-कानूनी तरीके से साइकिल रिक्शा को मोटर रिक्शा में परिवर्तित करने वाले लोगों के जीवनयापन करने से ज्यादा मायने रखती है। अदालत ने पश्चिमी त्रिपुरा के जिला मजिस्ट्रेट, पुलिस अधीक्षक और यातायात अधीक्षक के अलावा नगरपालिका आयुक्त को इन रिक्शा चालाकों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा है। न्यायाधीश ने कहा कि अगर वह अदालत के आदेश का पालन नहीं करेंगे तो इसके लिए व्यक्तिगत तौर पर इन लोगों की इसका जिम्मेवार माना जाएगा।
अदालत ने त्रिपुरा बैटरी संचालित रिक्शा नियम 2014 और 2019 को भी एम वी एक्ट 1988 के तहत निरस्त कर दिया। राज्य सरकार ने हलफनामा दाखिल कर न्यायालय के आदेश का पालन करने के लिए कम से कम एक वर्ष का समय मांगा था लेकिन अदालत ने उनकी मांग को खारिज कर दिया।
त्रिपुरा के परिवहन मंत्री प्रनाजीत सिंघा राय ने कहा कि यह मुसीबत माणिक सरकार के समय की है और उन्होंने वोट बैंक के लिए कभी इन चीजों पर ध्यान नहीं दिया जिसका खामियाजा अब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार को भुगतना पड़ रहा है।
श्री राय ने कहा, “ सिर्फ रिक्शा परिवर्तित करना ही एकमात्र मामला नहीं है ऐसी कई गैर-कानूनी गतिविधियां हैं जिन्हें वाम मोर्चा सरकार ने अनुमति दी थी लेकिन हमारी सरकार न्यायालय के आदेश का पालन करेगी और इन गतिविधियों पर लगाम लगाएगी।”
उन्होंने कहा कि परिवहन विभाग के अधिकारी कल से गैर-कानूनी ई-रिक्शा चालकों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे क्योंकि आज रजिस्ट्रेशन कराने का आखिरी दिन है और इसे आगे नहीं बढ़ाया जाएगा। राज्य सरकार किसी भी ऐसे ई-रिक्शा को मंजूरी नहीं देगी जिनका रजिस्ट्रेशन और बीमा नहीं कराया गया होगा।
गौरतलब है कि त्रिपुरा में 12500 से ज्यादा ई-रिक्शा हैं जिनमें से ज्यादातर प्रमाणित कंपनियों के नहीं है। यह ई-रिक्शा चीन की कंपनी के हैं जो बंगलादेश के रास्ते यहां के बाजार में आए हैं। इनके कारण राज्य में यातायात पर भारी असर पड़ता है।
शोभित.श्रवण
वार्ता
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