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असम सरकार ने एनआरसी पर की हजेला की आलोचना

गुवाहाटी 01 अगस्त (वार्ता) असम सरकार ने राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के राज्य समन्वयक प्रतिक हजेला पर राज्य में एनआरसी अद्यतन प्रकिया की निगरानी करने वाले उच्चतम न्यायालय को गुमराह करने तथा अदालत में पेश किये गये विस्तृत रिपोर्ट के बारे में राज्य सरकार से सीधे साझा करने मेें विफल रहने का आरोप लगाया है।
राज्य के संसदीय मामलों के मंत्री चंद्र मोहन पटवारी ने विधानसभा में कहा,“श्री हजेला ने सूचनायें उच्चतम न्यायालय में पेश कर दिया लेकिन इसके बारे में राज्य सरकार को नहीं बताया। राज्य मंत्री पीजुष हजारिका और विधायक गुरुज्योति दास समेत हमारे अपने विधायक अब हमसे पूछ रहे हैं कि क्या असम अब भारत का राज्य नहीं है या हम पाकिस्तान की सरकार का हिस्सा हैं।”
श्री पटवारी एनआरसी अपडेट के मुद्दे पर शून्यकाल में उठाये गये दो नोटिसों का जवाब दे रहे थे। नोटिस विशेष रूप से उन लोगों के भाग्य से संबंधित था जिनके नाम एनआरसी की अंतिम सूची में नहीं हैं।
मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने एनआरसी अद्यतन प्रक्रिया के लिए 1200 करोड़ रुपये प्रदान किए हैं और 55,000 राज्य सरकार के कर्मचारी सीधे इस काम में लगे हुए हैं, और फिर भी राज्य समन्वयक राज्य सरकार के साथ जानकारी साझा नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा,“राज्य धन और जनशक्ति प्रदान कर रहा है, और हम शीर्ष अदालत के हर शब्द का पालन कर रहे हैं। लेकिन फिर भी अगर श्री हजेला सीलबंद लिफाफों में जानकारी देकर अदालत को गुमराह करता हैं तो यह पहला ऐसा संवैधानिक दस्तावेज होगा (जिसमें राज्य को जानकारी नहीं दी गई है)।”
श्री पटवारी ने कहा कि राज्य और केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत से एनआरसी में 20 प्रतिशत नामों के पुन: सत्यापन का अनुरोध किया था, लेकिन श्री हजेला ने अदालत को सूचित किया कि 27 प्रतिशत लोगों के नामों का पुन: सत्यापन किया गया है। उन्होंने इस बात पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि जिन जिलों में स्वदेशी जनसंख्या अधिक है उनमें नामों को हटाने का प्रतिशत अधिक है जबकि बंगलादेश की सीमा से लगे जिलों में एनआरसी मसौदे से नाम हटाने की मात्रा कम थी।
राज्य सरकार के रुख को दोहराते हुए श्री पटवारी ने कहा कि अंतिम एनआरसी के लिए और अधिक समय की आवश्यकता है ताकि त्रुटि-रहित दस्तावेज़ तैयार किया जा सके। उन्होंने यह भी आशंका व्यक्त की कि यदि स्थानीय लोगों के नाम अंतिम एनआरसी में शामिल नहीं किए गए तो उनमें व्यापक नाराजगी उत्पन्न हो सकती है जिससे कानून और व्यवस्था की स्थिति खराब हो सकती है।
इस बात की पुष्टि करते हुए कि सरकार एनआरसी चाहती है, श्री पटवारी ने कहा कि यह त्रुटि मुक्त होना चाहिए और सदन से आग्रह किया कि वह उच्चतम न्यायालय से समय सीमा बढ़ाने का अनुरोध करे, जो फिलहाल 31 अगस्त तक के लिए निर्धारित है।
इससे पहले, सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के विधायकों देबेन हजारिका, नुरुल मोमिन और सिलादित्य देब ने त्रुटि रहित एनआरसी के लिए अधिक समय की आवश्यकता पर शून्यकाल के दौरान यह मामला उठाया था।
विपक्षी ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के विधायक नुरुल हुदा ने एनआरसी अद्यतन प्रक्रिया में वास्तविक नागरिकों के सामने आने वाली समस्याओं पर एक अलग नोटिस दिया था।
भाजपा के सहयोगी, असम गण परिषद और बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट ने एक त्रुटि-मुक्त एनआरसी के पक्ष में बात की जबकि मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने वर्तमान प्रक्रिया में अपना विश्वास व्यक्त किया।
संजय टंडन
वार्ता
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