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हाईकोर्ट ने अतिक्रमण मामले में सिंचाई, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से मांगा जवाब

नैनीताल 08 अगस्त (वार्ता) उत्तराखंड के ऋषिकेश स्थित स्वर्गाश्रम में गंगा के तट पर सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे एवं निर्माण के मामले में उच्च न्यायालय ने सिंचाई विभाग, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, हरिद्वार रूड़की विकास प्राधिकरण के साथ-साथ जिला प्रशासन को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं।
मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ में गुरुवार को मामले की सुनवाई
हुई। मामले को उच्च न्यायालय के अधिवक्ता विवेक शुक्ला ने एक जनहित याचिका के माध्यम से व्यक्तिगत रूप से चुनौती दी है।
अधिवक्ता ने बताया कि स्वर्गाश्रम में गंगा के किनारे परमार्थ निकेतन आश्रम ने सिंचाई विभाग की हजारों फुट जमीन पर अतिक्रमण किया हुआ है। उस जमीन पर अवैध निर्माण भी किया जा रहा है। आश्रम की ओर से शादी-विवाह के अलावा इस जमीन का कथित रूप से व्यावसायिक उपयोग किया जा रहा है। इससे गंगा नदी में प्रदूषण बढ़ रहा है। कूड़ा सीधे गंगा नदी में बहाया दिया जा रहा है।
श्री शुक्ला ने बताया कि आश्रम ने गंगा घाट के किनारे अतिक्रमित की गयी जमीन पर शिवजी की एक मूर्ति का निर्माण किया हुआ है और मूर्ति तक आने-जाने के लिये पुल का निर्माण किया हुआ है। उन्होंने यह भी बताया कि इस मामले की शिकायत स्थानीय लोगों ने जब हरिद्वार रूड़की विकास प्राधिकरण, जिला विकास प्राधिकरण, सिंचाई विभाग एवं स्थानीय प्रशासन से की तो राजनीतिक पहुंच के कारण आश्रम के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गयी।
श्री शुक्ला ने अदालत को बताया कि गंगा के किनारे 200 मीटर तक किसी प्रकार की गतिविधि या निर्माण नहीं कर सकते हैं। आश्रम ने सिचाईं विभाग की जमीन पर अवैध रूप से कब्जा किया हुआ है और सिंचाई विभाग आंखें मूंदे बैठा है। मामले को सुनने के बाद अदालत ने सभी पक्षकारों को नोटिस जारी किया है और चार सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है।
रवीन्द्र, उप्रेती
वार्ता
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