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केन्द्र सरकार ने संजीव चतुर्वेदी को किया जुर्माने का भुगतान

नैनीताल 08 अगस्त (वार्ता) दिल्ली के चर्चित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) मामले में अवमानना की कार्यवाही से बचने के लिये आखिरकार केन्द्र सरकार ने भारतीय वन सेवा (आईएफएस) अधिकारी संजीव चतुर्वेदी को 25 हजार रुपये जुर्माना का भुगतान किया है।
श्री चतुर्वेदी को केन्द्र सरकार की ओर से 25 हजार रुपये का ड्राप्ट सौंप दिया गया है। यह जानकारी केन्द्र सरकार की ओर से उत्तराखंड उच्च न्यायालय में दी गयी।
यह जानकारी श्री चतुर्वेदी के अधिवक्ता संदीप तिवारी ने दी। यह मामला 2015 से जुड़ा हुआ है। श्री चतुर्वेदी इस अवधि में केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति में दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में तैनात थे। इस दौरान केन्द्र सरकार ने उनकी वार्षिक मूल्यांकन रिपोर्ट को कम कर दिया था।
श्री तिवारी ने बताया कि केन्द्र सरकार की ओर से बुधवार को केन्द्र सरकार की ओर से एम्स के प्रशासनिक अधिकारी के माध्यम से न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की अदालत में हलफनामा दिया गया। जिसमें केन्द्र सरकार की ओर से कहा गया है कि उन्होंने श्री चतुर्वेदी को 25 हजार रुपये का ड्राफ्ट सौंप दिया है।
इस वर्ष 26 जून को श्री चतुर्वेदी की अवमानना याचिका के जवाब में उच्च न्यायालय ने केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव प्रीति सूदन और दिल्ली एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया को अवमानना नोटिस जारी किया था। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि केन्द्र सरकार ने अपने हलफनामे में कहा कि दिल्ली के अधिवक्ता की गलत सलाह के कारण वह उच्च न्यायालय द्वारा लगाये गये अर्थदंड का भुगतान समय पर नहीं कर पाये हैं। केन्द्र सरकार की ओर से अदालत से माफी भी मांगी गयी है।
श्री चतुर्वेदी जून 2012 से 2016 तक दिल्ली एम्स में मुख्य सतर्कता अधिकारी के तौर पर तैनात थे। इस दौरान उनकी वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट का मूल्यांकन (एपीएआर) कम कर दिया गया था। वे जून 2017 में अपनी एपीएआर के उन्नयन के मामले में उत्तराखंड उच्च न्यायालय पहुंचे। अदालत ने उन्हें केन्द्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) से संपर्क करने को कहा। कैट की सर्किट बेंच ने उन्हें सितम्बर, 2017 में उन्हें अंतरिम राहत प्रदान कर दी।
इसके बाद दिल्ली एम्स ने कैट की नैनीताल बेंच से मामले को दिल्ली स्थानांतरित करने के लिये कैट दिल्ली के अध्यक्ष के समक्ष याचिका दायर की। इसके बाद 27 जुलाई, 2018 को दिल्ली कैट के अध्यक्ष ने नैनीताल बेंच की कार्यवाही पर रोक लगा दी।
श्री चतुर्वेदी कैट के फैसले के खिलाफ 14 अगस्त, 2018 को उच्च न्यायालय पहुंचे। न्यायालय ने 21 अगस्त, 2018 को आदेश जारी कर श्री चतुर्वेदी को राहत देते हुए दिल्ली कैट के फैसले को खारिज कर दिया और साथ ही 25 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया।
इसके बाद एम्स ने उच्च न्यायालय के आदेश को अक्टूबर 2018 में विशेष अपील के माध्यम से उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी। शीर्ष न्यायालय ने उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखते हुए एम्स की अपील को खारिज कर दिया। साथ ही गंभीर टिप्पणी भी की। उल्लेखनीय है कि श्री चतुर्वेदी वर्तमान में उत्तराखंड में वन संरक्षक (शोध) के पद पर हल्द्वानी में तैनात हैं।
रवीन्द्र, उप्रेती
वार्ता
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