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पंचायती राज अधिनियम संशोधन को उच्चतम न्यायालय में चुनौती

नैनीताल 08 अगस्त (वार्ता) उत्तराखंड पंचायती राज्य एक्ट 2016 में किये गये संशोधनों से प्रदेश के निवर्तमान ग्राम प्रधान नाराज हैं और ग्राम प्रधान संघ तथा अन्य ने इस मामले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी है।
ग्राम प्रधान संघ के महासचिव मनोहर लाल आर्य और जोध सिंह बिष्ट द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ ने जनहित याचिकाओं में उठाये गये तथ्यों के मामले में याचिकाकर्ताओं से शपथपत्र पेश करने को कहा। इस मामले में कई याचिकायें दायर हुई हैं।
उल्लेखनीय है प्रदेश सरकार ने विगम 25 जुलाई 2019 को पंचायती राज एक्ट में संशोधन कर प्रदेश में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में प्रत्याशियों के लिये तमाम शर्तें थोप दी हैं। नये संशोधनों के अनुसार जिन लोगों के दो से अधिक बच्चे हैं वे बतौर ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य का चुनाव नहीं लड़ सकते हैं। इसके अलावा सरकार ने ग्राम प्रधानों के लिये शैक्षिक योग्यता की शर्त भी तय कर दी है।
अधिवक्ता राजीव सिंह बिष्ट ने बताया कि सरकार ने ग्राम प्रधान पद के लिये सामान्य श्रेणी के उम्मीदवार के लिये हाईस्कूल जबकि अनुसूचित जाति और ओबीसी उम्मीदवार के लिये कक्षा आठ पास होने की शर्त रखी है। इसी प्रकार वे उम्मीदवार भी चुनाव नहीं लड़ सकते जो सहकारी संस्थाओं के सदस्य नामित हैं। इसके अलावा उपप्रधान के चयन के लिये भी शर्तें थोपी गयी हैं।
श्री बिष्ट ने बताया कि न्यायालय ने गुरुवार को सुनवाई की और याचिकाकर्ताओं से शपथपत्र पेश करने को कहा। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता शपथपत्र के माध्यम से बतायें कि क्या वे किसी सहकारी संस्था के सदस्य हैं या नहीं। मामले में शुक्रवार को सुनवाई होगी।
सं राम
वार्ता
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