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बूचड़खानों के मामले में बुरी तरह फंसी सरकार

नैनीताल 09 अगस्त (वार्ता) उत्तराखंड सरकार प्रदेश में बूचड़खानों के मामले में बुरी तरह से फंस गयी है। उच्च न्यायालय ने बूचड़खानों के मामले को लेकर दायर याचिका की सुनवाई करते हुए शुक्रवार को सख्त लहजे में सरकार को कहा कि आगामी 20 अगस्त से वह प्रदेश में पुलिस सत्यापन के बिना मांस की बिक्री पर रोक जारी कर सकती है।
न्यायालय ने अवैध बूचड़खानों को बंद करने एवं खुले स्थानों में पशु वध पर रोक लगाये जाने संबंधी सितम्बर 2018 के आदेश का अनुपालन नहीं किये जाने के मामले को भी बेहद गंभीरता से लेते हुए निर्देश दिये कि सरकार 20 अगस्त तक साफ-साफ बताये कि राज्य में कितने वैध बूचड़खाने संचालित हो रहे हैं। साथ ही सरकार की विशेष अपील पर उच्चतम न्यायालय ने कोई रोक जारी की है या नहीं।
यह जानकारी प्रतिवादी के अधिवक्ता कार्तिकेय हरि गुप्ता ने दी। श्री गुप्ता ने बताया कि मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ ने ये निर्देश मांस विक्रेता महबूब कुरैशी की याचिका की सुनवाई करते हुए जारी किये हैं। याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि उच्च न्यायालय ने सितम्बर 2018 में एक आदेश जारी कर प्रदेश में 72 घंटे के अंदर अवैध बूचड़खानों को बंद करने के निर्देश सरकार को दिये थे। साथ ही खुले स्थानों में पशुओं के वध पर रोक लगा दी थी। अदालत ने प्रदेश के गृह सचिव को आदेश का परिपालन सुनिश्चित करने को कहा था। इसके बाद सरकार ने प्रदेश में अवैध बूचड़खानों को बंद कर दिया था।
दरअसल याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि प्रदेश में बूचड़खानों के बंद होने से उनकी आजीविका प्रभावित हो गयी है। इसके जवाब में सरकार ने पिछली सुनवाई में अदालत को बताया था कि उच्च न्यायालय के सितम्बर 2018 के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में एक विशेष अपील दायर की गयी है। अदालत ने इस मामले को सुनवाई के लिये मंजूर कर लिया है और इसी साल अप्रैल में सभी पक्षकारों नोटिस जारी कर दिये हैं।
श्री गुप्ता ने कहा कि अदालत ने महसूस किया कि सरकार उच्चतम न्यायालय द्वारा जारी स्थगनादेश को दिखाने में विफल रही है। ऐसी स्थिति में न्यायालय का सितम्बर, 2018 का आदेश निष्प्रभावी नहीं हुआ है। इसके बाद सरकार को साफ साफ कहा कि राज्य सरकार 20 अगस्त तक उच्चतम न्यायालय द्वारा जारी स्थगनादेश की जानकारी अदालत को दे। अदालत ने सख्त लहजे में कहा कि यदि सरकार विफल रही तो प्रदेश में पुलिस सत्यापन के बिना मांस की बिक्री पर प्रतिबंध लगा सकती है।
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