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स्टोन क्रेशरों के मामले में प्रदूषण बोर्ड पेश करे रिपोर्ट : हाईकोर्ट

नैनीताल 13 अगस्त (वार्ता) उत्तराखंड में नियमों को ताक पर रखकर संवेदनशील इलाकों में खोले जा रहे स्टोन क्रेशरों के मामले में रिपोर्ट पेश नहीं किये जाने के मामले को उच्च न्यायालय ने गंभीरता से लिया और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को आगामी सोमवार तक रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिये और अगर बोर्ड सोमवार तक रिपोर्ट पेश नहीं कर पाता है तो बोर्ड के मेम्बर सेक्रेटरी मंगलवार को अदालत में स्वयं पेश हों।
न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ ने रामनगर निवासी आनंद सिंह नेगी और सर्वजीत सिंह की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को ये निर्देश जारी किये। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली ने बताया कि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से आज भी इस मामले में कोई रिपोर्ट पेश नहीं की गयी। बोर्ड ने रिपोर्ट पेश करने के लिये और समय की मांग की गयी। इसके बाद अदालत ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए बोर्ड को निर्देश दिये कि आगामी सोमवार तक रिपोर्ट पेश करे। अदालत ने आगे कहा कि यदि बोर्ड रिपोर्ट पेश करने में नाकाम रहा तो मंगलवार को बोर्ड के मेंबर सेक्रेटरी अदालत में पेश होकर स्वयं स्थिति स्पष्ट करें।
श्री मैनाली ने बताया कि इससे पहले मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ ने विगत 31 जुलाई को राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को याचिका में उठाये गये सभी बिन्दुओं पर 12 अगस्त तक विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा था।
अदालत ने बोर्ड से पूछा है कि क्या उसने स्टोन क्रेशरों की अनुमति देने से पहले राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अनुमति ली या नहीं? अदालत ने बोर्ड से याचिका में उठाये गये ध्वनि प्रदूषण के मानकों के उल्लंघन के मामले में भी रिपोर्ट मांगी है कि स्टोन क्रेशरों को किन मानकों के तहत अनुमति प्रदान की गयी है।
इससे पहले याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि सरकार ने नियमों को ताक पर रखकर 01 जनवरी 2018 से मार्च 2019 के बीच प्रदेश में 54 स्टोन क्रेशरों को लगाने की अनुमति प्रदान की है। ये स्टोन क्रेशर प्रदेश के बेहद संवेदनशील क्षेत्रों में स्थापित किये जा रहे हैं। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने अदालत को यह भी बताया कि स्टोन क्रेशरों के मामले में प्रदेश सरकार ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अनुमति नहीं ली है। जो कि गलत है। नियमों के तहत प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के बाद ही स्टोन क्रेशरों को लगाये जाने की अनुमति प्रदान की जानी चाहिए थी।
याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को यह भी बताया गया कि ग्रामीण क्षेत्रों में लगाये जाने वाले इन स्टोन क्रेशरों के मामले में ध्वनि प्रदूषण के तय मानकों का भी उल्लंघन किया गया है। इन स्टोन क्रेशरों को उत्तरकाशी, रूद्रप्रयाग, हरिद्वार, देहरादून, पौड़ी गढ़वाल, नैनीताल एवं उधमसिंह नगर जनपदों में खोलने की अनुमति दी गयी है।
रवीन्द्र, उप्रेती
वार्ता
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