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हाईकोर्ट समाज कल्याण घोटाले की जांच से नाराज, एसआईटी प्रमुख को तलब

नैनीताल 29 अगस्त (वार्ता) उत्तराखंड में समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत कथित पांच सौ करोड़ रुपये के छात्रवृत्ति घोटाले में उच्च न्यायालय ने गुरुवार को गंभीर रुख अपनाते हुए मामले की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) के दोनाें प्रमुखों को अदालत में हाजिर होने का निर्देश दिया और पुलिस महानिरीक्षक संजय गुंज्याल की ओर से की जा रही जांच पर भी असंतोष व्यक्त किया।
अदालत ने पंकज कुमार की ओर से बुधवार को दायर जनहित याचिका को भी मुख्य याचिका के साथ शामिल कर लिया है।
मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ में रवीन्द्र जुगरान की ओर से दायर जनहित याचिका पर आज सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता एम.सी. पंत की ओर से अदालत को बताया गया कि एसआईटी की ओर से पूरे प्रकरण की जांच में अभी तक बहुत अधिक प्रगति नहीं हुई है।
श्री पंत ने बताया कि अदालत ने पिछले महीने 09 अगस्त को एसआईटी के दोनों प्रमुखों से जांच की प्रगति रिपोर्ट 22 अगस्त तक अदालत में पेश करने के निर्देश दिये थे। उन्होंने बताया कि अदालत अभी तक की जांच से नाखुश है। खासकर पुलिस महानिरीक्षक संजय गुज्यांल की अगुवाई में होने वाली जांच पर अदालत ने नाराजगी व्यक्त की है।
इसके बाद न्यायालय ने एसआईटी के दोनों प्रमुखों टी.एस. मंजूनाथ और संजय गुज्यांल को आगामी 11 सितम्बर को अदालत में पेश होने के निर्देश दिये हैं।
न्यायालय ने आज छात्रवृत्ति घोटाले से ही जुड़ी पंकज कुमार की ओर से दाखिल एक अन्य जनहित याचिका को भी इसी के साथ जोड़ दिया है। अदालत ने कल इस जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग के अध्यक्ष और तीन सदस्यों को नोटिस जारी कर दस दिन के अंदर जवाब मांगा है कि घोटाले के आरोपी समाज कल्याण विभाग के संयुक्त निदेशक गीताराम नौटियाल की गिरफ्तारी पर किस अधिकार के तहत रोक प्रदान की है।
उल्लेखनीय है कि करोड़ों रुपये के समाज कल्याण घोटाले की जांच उच्च न्यायालय की निगरानी में एसआईटी द्वारा की जा रही है। उच्च न्यायालय ने इसी साल 09 जनवरी को राज्य सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल के फैसले का रद्द कर दिया था और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी टी.एस. मजूंनाथ की अगुवाई में एसआईटी का गठन कर दिया था।
इसके बाद अदालत ने 05 जुलाई 2019 को अपने महत्वपूर्ण निर्णय में जांच का दायरा बढ़ा दिया था और एसआईटी के दो दलों का गठन कर दिया था। अदालत ने प्रदेश के सभी जनपदों में जांच के दायरे को बढ़ा दिया था। अदालत ने पुलिस महानिरीक्षक की अगुवाई में एक और विशेष जांच दल का गठन कर दिया था और उसे देहरादून और हरिद्वार जनपदों को छोड़कर शेष 11 जनपदों की जांच की जिम्मेदारी सौंप दी थी। हरिद्वार और देहरादून जनपदों की जांच टी.एस. मंजूनाथ की अगुवाई वाले विशेष जांच दल को सौंप दी थी।
श्री मंजूनाथ की अगुवाई वाली विशेष जांच दल अभी तक हरिद्वार के पूर्व समाज कल्याण अधिकारी समेत निजी काॅलेजों के 12 आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है। उन पर छात्रवृत्ति के नाम पर सरकारी खजाने से करीब 87 करोड़ रुपये का गबन का आरोप है।
रवीन्द्र, उप्रेती
वार्ता
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