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आसू ने एनआरसी की अंतिम सूची पर जताया असंतोष

गुवाहाटी 31 अगस्त (वार्ता) ऑल असम स्टूडेंट यूनियन (आसू) ने असम के लिए राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) की जारी अंतिम सूची पर असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि वह इस मुद्दे को लेेकर दोबारा उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटायेंगे।
आसू ने एनआरसी में गड़बड़ी के लिए केन्द्र और राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। असम का प्रभावशाली छात्र संगठन आसू बंगलादेशी घुसपैठ को लेकर पिछले करीब सात वर्षों से राज्य में आंदोलन कर रहा है। संगठन ने कहा कि वह एनआरसी में सुधार करने की मांग को लेकर उच्चतम न्यायालय का दोबारा रुख करेगा।
आसू के अध्यक्ष दीपांकर नाथ और महासचिव लुरिनज्योति गोगोई ने यहां कहा, “ हम 19 लाख लोगों को एनआरसी की अंतिम सूची से बाहर करने के फैसले से खुश नहीं है। इस दस्तावेज में कई गलतियां हैं और इसमें सुधार की मांग को लेकर हम उच्चतम न्यायालय का रुख करेंगे।”
आसू ने कहा कि राज्य में मौजूद अवैध प्रवासियाें की संख्या सरकार की ओर से उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के आस-पास भी नहीं है। इससे पहले असम के लिए राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) की अंतिम सूची शनिवार को जारी कर दी गई जिसमें 19 लाख से अधिक लोगों को जगह नहीं मिली है।

एनआरसी की सूची में शामिल होने के लिए आवेदन करने वाले 3.30 करोड़ से अधिक आवेदकों में से 3.11 करोड़ से अधिक लोगों को एनआरसी की अंतिम सूची में जगह मिली है।
एनआरसी के राज्य समन्वयक प्रतीक हजेला ने एक प्रेस वक्तव्य जारी कर कहा, “ एनआरसी की अंतिम सूची में शामिल होने के लिए कुल 3,11,21,004 लोगों को योग्य पाया गया जबकि अपनी नागरिकता के संबंध में आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत न कर पाने वाले 19,06,657 लोगों को इस सूची से बाहर रखा गया है।”
असम में एनआरसी की प्रक्रिया उच्चतम न्यायालय की निगरानी में चल रही है। इस कार्य में राज्य सरकार के 52 हजार से कर्मचारी लगे हुए हैं और इस पर 1200 कराेड रूपए खर्च आने का अनुमान है। एनआरसी की पूरी प्रक्रिया सतर्कता के साथ पारदर्शी ढंग से की जा रही है। प्रक्रिया के हर स्तर पर लोगों काे अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जा रहा है।

एनआरसी की अंतिम सूची आने पर असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है।
श्री सोनोवाल ने टि्वटर पर एक वीडियो जारी कर कहा, “ एनआरसी की सूची में नाम नहीं आने वाले लोगों को बिलकुल भी घबराने की जरुरत नहीं है क्योंकि गृह मंत्रालय ने पहले ही यह सुनिश्चित कर दिया है कि जिनका नाम इस सूची में नहीं होगा उन्हें संबंधित न्यायाधीकरण (फॉरेन ट्रिब्यूनल) में जाकर अपील करने का अधिकार होगा। इस मामले में सरकार की ओर से उनकी हरसंभव मदद की जाएगी।”
श्री सोनोवाल ने कहा, “ फॉरेन ट्रिब्यूनल में अपील करने का समय अब बढ़ाकर 60 दिनों की बजाए 120 दिन कर दिया गया है, ऐसे में सभी लोग शांति और कानून व्यवस्था बनाए रखें।”
रवि जितेन्द्र
वार्ता
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