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पूर्व मुख्यमंत्रियों को सुविधा देने वाले अध्यादेश को उच्च न्यायालय में चुनौती

नैनीताल, 12 सितम्बर (वार्ता) उत्तराखंड के भूतपूर्व मुख्यमंत्रियों को आवास और अन्य सुविधायें निशुल्क प्रदान करने को लेकर हाल ही में सरकार द्वारा पारित अध्यादेश को उत्तराखंड न्यायालय में चुनौती दी गयी है।
मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ ने गुरुवार को मामले की सुनवायी करते हुए जनहित याचिका को सुनवाई के लिये स्वीकार कर लिया है और महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को पक्षकार बनाये जाने के आग्रह को स्वीकार कर लिया है। मामले में अगली सुनवाई आगामी सोमवार को होगी।
देहरादून की गैर सरकारी संस्था रूरल लिटिगेशन एंड एनटाइटलमेंट केन्द्र (रलेक) ने अध्यादेश को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता डा0 कार्तिकेय हरि गुप्ता ने बताया कि याचिका में तर्क दिया गया है कि अध्यादेश असंवैधानिक है और उच्च न्यायालय के आदेश को पलटने (ओवर रूल) करने के उद्देश्य से लाया गया है। उन्होंने कहा कि विधायिका को इस प्रकार की कोई विधायी शक्ति प्राप्त नहीं है। उच्च न्यायालय के आदेश को पलटने के लिये विधाायिका किसी प्रकार का कोई कानून पारित नहीं कर सकती है।
उन्होंने अदालत से सोमवार 16 सितम्बर तक श्री कोश्यारी को पक्षकार बनाने की अनुमति मांगी। श्री गुप्ता ने बताया कि न्यायालय ने उनकी आग्रह को स्वीकार कर लिया है।
उल्लेखनीय है कि रलेक की ओर से वर्ष 2010 में एक जनहित याचिका दायर कर पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवंटित सरकारी आवासों और अन्य सुविधाओं के मामले को चुनौती दी गयी थी। उच्च न्यायालय ने इसी वर्ष 3 मई को एक आदेश पारित कर सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को बाजार दर पर आवास किराया और अन्य मदों का भुगतान करने को कहा था।
सं राम
वार्ता
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