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न्यायालय का निर्णय राज्य की बड़ी जीत: जोत सिंह बिष्ट

देहरादून, 19 सितंबर (वार्ता) उत्तराखंड उच्च न्यायालय के पंचायत चुनाव में दो से अधिक बच्चों वाले प्रत्याशियों पर रोक सम्बन्धी शासनादेश को स्थगित करने पर याचिकाकर्ता पंचायत जनाधिकार मंच ने राज्य की जनता की बड़ी जीत बताया है।
देहरादून स्थित उत्तरांचल प्रेस क्लब में गुरुवार को ‘पंचायत जनाधिकार मंच’ के संयोजक जोत सिंह बिष्ट ने संवाददाताओ को बताया कि उच्च न्यायालय ने मंच की याचिका पर राज्य की जनता के पक्ष में एक अहम निर्णय दिया है। उन्होंने कहा कि अदालत ने राज्य सरकार द्वारा बनाये गए काले कानून को दुरुस्त करते हुए 26 जुलाई 2019 से पहले, जिन प्रत्याशियों के दो से अधिक बच्चे हैं, को भी पंचायत चुनाव लड़ने की अनुमति देकर बड़ा काम किया हैं।
उन्होंने कहा कि 19 सितंबर का दिन विश्व में घटित दो महत्वपूर्ण घटनाओं की वजह से अपने आप में खास दिन है। आज के महत्वपूर्ण दिन में पंचायत अधिनियम संशोधन विधेयक 2019 के खिलाफ जो याचिका उन्होंने (श्री बिष्ट) उच्च न्यायालय में दायर की थी, उसका फैसला आया है।
श्री बिष्ट ने आरोप लगाया कि राज्य की वर्तमान भारतीय जनता पार्टी सरकार ने देवभूमि में ऐसा काला कानून बनाया जिससे ग्राम सरकार, मध्यवर्ती सरकार और जिला सरकार के लिए चुने जाने वाले 66000 नहीं, बल्कि इस चुनाव में शिरकत करने वाले और शिरकत करने की इच्छा रखने वाले कई लाख लोगों को प्रभावित किया। उनके मूलभूत अधिकार से वंचित किया। जिस संस्था में राज्य में 66000 से अधिक प्रतिनिधि चुने जाते हैं उस संस्था के प्रतिनिधियों के भाग्य का फैसला विधानसभा में मात्र डेढ़ मिनट में कर दिया गया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने अपने अहम की तुष्टि के लिए इस कानून के माध्यम से राज्य की ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले दो से अधिक संतान के माता पिता को चुनाव लड़ने से वंचित करने का फैसला दिया था जिसे शासनादेश को न्यायालय स्थगित कर दिया।
उन्होंने कहा कि पंचायत के प्रतिनिधियों के लिए शैक्षिक योग्यता का निर्धारण किया गया लेकिन उसमें अन्य पिछड़ा वर्ग जिस वर्ग से पंचायतों में राज्य में 14 प्रतिशत सीटों पर चुनाव लड़ते हैं, उनकी शैक्षिक योग्यता का उल्लेख नहीं किया गया। इस बात पर भी विचार नहीं किया गया की शैक्षिक योग्यता के निर्धारण एवं दो से अधिक संतान वाले लोगों को चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित करने पर राज्य की आधी से अधिक ग्राम पंचायतें गठित नहीं हो पाएंगी, क्योंकि ग्राम पंचायत सदस्य के लिए 55000 पदों में से आधे से अधिक पद रिक्त रह जाएंगे।
इस अवसर पर पंचायत जनाधिकार मंच के संजय भट्ट, शांति रावत, रेनु नेगी, अमरजीत सिंह मुख्य रूप से उपस्थित रहे।
सं. उप्रेती
वार्ता
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