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जैव चिकित्सा अपशिष्ट संयंत्रों की स्थापना के मामले में सरकारी विभाग भी पक्षकार बनेंगे

नैनीताल, 19 सितम्बर (वार्ता) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने सरकारी एवं निजी चिकित्सालयों से उत्पन्न होने वाले जैव चिकित्सा अपशिष्ट (बायो मेडिकल वेस्ट) के निस्तारण के लिये संयंत्रों की स्थापना करने के मामले में स्वास्थ्य एवं शहरी विकास विभाग को पक्षकार बनाने के निर्देश दिये हैं।
मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ ने हिमांशु चंदोला और अन्य द्वारा दायर जनहित याचिका की सुनवाई के बाद गुरुवार को ये निर्देश जारी किये। अधिवक्ता आदित्य प्रताप सिंह ने बताया कि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) की ओर से आज अदालत में एक शपथपत्र पेश किया गया।
बोर्ड की ओर से कहा गया कि बायो मेडिकल वेस्ट, रूल्स 2016 में साफ-साफ लिखा गया है कि निजी अस्पतालों एवं सरकारी मेडिकल काॅलेजों से उत्पन्न होने वाले जैव चिकित्सा अपशिष्ट के निस्तारण के लिये संयंत्र स्थापित करने के लिये सरकार को जमीन और धन मुहैया कराया जाना चाहिए। जैव अपशिष्ट के निस्तारण के लिये प्रदेश में मात्र दो ही संयंत्र मौजूद हैं। पहला गढ़वाल मंडल के रूड़की और दूसरा कुमाऊं मंडल के गदरपुर में स्थापित है। ये दोनों निजी क्षेत्र में हैं।
दो संयंत्र ही उपलब्ध होने के कारण मनमानी की जा रही है। नियमों का अनुपालन नहीं किया जा रहा है। नियमों का अनुपालन नहीं करने के मामले में पीसीबी की ओर से गदरपुर में स्थापित संयंत्र पर 11 लाख 30 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है। प्रदेश में अन्य संयंत्र उपलब्ध नहीं होने के कारण पीसीबी की ओर से इनके खिलाफ ठोस कार्यवाही अमल में नहीं लायी जा रही है।
अधिवक्ता सी.के. शर्मा की ओर से कहा गया कि सरकारी एवं निजी क्षेत्र के चिकित्सालयों के अलावा भारतीय चिकित्सा परिषद की ओर से भी उन्हें जैव चिकित्सा संयत्र उपलब्ध कराने की मांग की जा रही है। श्री सिंह ने कहा कि इसके बाद अदालत ने सचिव स्वास्थ्य एवं शहरी विकास विभाग को पक्षकार बनाने को कहा है।
इसके अलावा श्री सिंह ने कहा कि उन्होंने शपथपत्र में यह भी कहा है कि औद्योगिक कचरे को निस्तारित करने के लिये सितारगंज में स्थापित संयंत्र की ओर से पर्यावरण मानकों का उल्लंघन किया जा रहा है, जिसके लिये उन्होंने संयंत्र पर 20 लाख रूपये का जुर्माना लगाया है। इस मामले में अगली सुनवाई चार नवम्बर को होगी।
रवीन्द्र, उप्रेती
वार्ता
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