राज्य » अन्य राज्यPosted at: Sep 24 2019 6:55PM परिवहन निगम कर्मचारियों को वेतन नहीं दिये जाने के मामले में सचिव तलबनैनीताल, 24 सितम्बर (वार्ता) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने प्रदेश के परिवहन निगम के कर्मचारियों को पिछले दो तीन महीने से वेतन का भुगतान नहीं किये जाने के मामले को गंभीरता लेते हुए परिवहन सचिव को आगामी 26 सितम्बर को समस्त दस्तावेजों के साथ व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होने के निर्देश दिये हैं। साथ ही अदालत ने निगम से भी पूछा है कि सरकार पर कितनी धनराशि बाकी है। मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ ने ये निर्देश उत्तराखंड परिवहन निगम कर्मचारी संघ की ओर से दायर जनहित याचिका की मंगलवार को सुनवाई करते हुए दिये। कर्मचारी संघ की ओर से कहा गया है कि सरकार पर निगम का लगभग 85 करोड़ की धनराशि बाकी है। संघ की ओर से कहा गया है कि उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से भी परिसम्पत्तियों का हस्तांतरण नहीं किया गया है। प्रदेश को लगभग 700 करोड़ की परिसम्पत्तियों का हस्तांतरण किया जाना है। प्रदेश सरकार भी इस मामले में कोई ठोस प्रयास नहीं कर रही है। हालत यह है कि निगम की माली-हालत दिन प्रतिदिन खराब होती जा रही है। कर्मचारियों को पिछले तीन माह से वेतन का भुगतान नहीं हो पा रहा है। सेवानिवृत्त कर्मचारियों को भी उनके देयकों का भुगतान नहीं किया जा रहा है। ऐसे में परिवहन निगम के कर्मचारियों को हड़ताल जैसे कदम उठाने के लिये बाध्य होना पड़ता है। ऐसे में सरकार उन पर एस्मा लगाने को तैयार रहती है। कर्मचारी यूनियन की ओर से यह भी कहा गया कि सरकार की ओर से विभिन्न योजनाओं के तहत निगम को करोड़ों रुपये का भुगतान किया जाना है लेकिन सरकार द्वारा विभिन्न मदों का भुगतान नहीं कर रही है। वर्ष 2013 में आयी केदारनाथ आपदा के तहत भी करोड़ों रूपये का भुगतान लंबित है। सरकार पर कुल 85 करोड़ की धनराशि बाकी है। इससे पहले अदालत की ओर से प्रदेश सरकार, उप्र सरकार एवं उप्र परिवहन निगम से भी पूरे प्रकरण में जवाब मांगा गया है। रवीन्द्र, उप्रेतीवार्ता