Thursday, Mar 28 2024 | Time 18:51 Hrs(IST)
image
राज्य » अन्य राज्य


छात्रवृत्ति घोटाला : एसआईटी को मिले सुबूत

नैनीताल, 26 सितम्बर (वार्ता) उत्तराखंड उच्च न्यायालय की निगरानी में चल रहे समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत अनुसूचित जाति जनजाति छात्रवृत्ति घोटाले में नये तथ्यों का पता चला है जिसमें विशेष जांच दल (एसआईटी) को मिले सबूतों के आधार पर समाज कल्याण विभाग समेत निजी कालेज तथा बैंक और दलालों की मिलीभगत सामने आयी है।
हरिद्वार व देहरादून जनपदों के अलावा बड़े पैमाने पर प्रदेश के अन्य जनपदों में भी छात्रवृत्ति घोटाले को अंजाम दिया गया है। समाज कल्याण विभाग, शैक्षणिक संस्थान और बैंकों के अलावा दलालों की मिलीभगत से छात्रवृत्ति के नाम पर लाखों-करोड़ों रूपये का सरकारी धन हड़प लिया गया है।
यह रहस्योद्घाटन एसआईटी की ओर से नैनीताल व ऊधमसिंह नगर जनपदों के कुछ मामलों की जांच के बाद किया गया है। नैनीताल के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सुनील कुमार मीणा और ऊधमसिंह नगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बरिंदर जीत सिंह की ओर से गुरूवार को क्रमशः हल्द्वानी व रूद्रपुर में पृथक पृथक प्रेस वार्ता के माध्यम से घोटाले पर से पर्दा उटाया गया।
दोनों जगहों की जांच से साफ है कि इस घोटाले में समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों के साथ-साथ बैंक, शैक्षणिक संस्थानों व दलालों के माध्यम से कथित रूप से घोटाले को अंजाम दिया गया है। पूरे प्रकरण में दलालों की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। कूटरचित दस्तावेजों के माध्यम से सरकारी धन को हड़पा गया है।
श्री मीणा ने बताया कि नैनीताल जनपद में घोटाले की जांच के लिये 12 उपनिरीक्षक को तैनात किया गया। 150 सरकारी व निजी शिक्षण संस्थानों को जांच के दायरे में लाया गया है। इनमें पढ़ने वाले 1800 छात्रों का सत्पापन किया गया है। जिन मामलों की जांच की गयी उनमें चैंकाने वाले तथ्य सामने आये हैं। अभी तक 20,63900 रूपये की हेराफेरी पकड़ी गयी है।
उन्होंने बताया कि दलालों के माध्मय से फर्जी दस्तावेज, फर्जी बैंक खाते व फर्जी प्रवेश दिखाकर छात्रवृत्ति की रकम को ठिकाने लगाया गया है। इसमें समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों व बैंकों की भूमिका संदिग्ध पायी गयी है। दलालों के माध्यम से शैक्षणिक संस्थानों व बैंकों में फर्जी दस्तावेजों के बल पर प्रवेश व खाते खुलवा कर छात्रवृत्ति का धन हड़प लिया गया है। नैनीताल जनपद में 28 छात्रों के नाम पर 20 लाख रूपये की हेराफेरी पकड़ी गयी है। इनमें छात्रों को चेक प्रेषित कर धन हड़प् लिया गया।
श्री मीणा ने बताया कि जांच में रामनगर, कालाढूंगी व हल्द्वानी के लामाचैड़ व दमुवाढूंगा के क्षेत्र के छात्रों को चिन्हित कर उनका डाटा प्राप्त कर जांच की गयी। उन्होंने आगे बताया कि दलालों के माध्यम से इन क्षेत्रों के 28 छात्रों के उप्र के हापुड़ के मोनाड विश्वविद्यालय में फर्जी दस्तावेजों के बल पर प्रवेश दिखाकर 20 लाख रूपये से अधिक की धनराशि हड़प ली गयी। मोनाड विश्वविद्यालय में किसी भी लाभार्थी द्वारा कोई भी शिक्षा ग्रहण नहीं की गयी। साथ ही उक्त छात्रवृत्ति पाना भी नहीं पाया गया। श्री मीणा ने बताया कि एसआईटी की ओर से अन्य मामलों की जांच की जा रही है। दोषियों के खिलाफ आवश्यक कार्यवाही की जा रही है।
इसी तर्ज पर ऊधमसिंह नगर जनपद में भी घोटाले के कुछ मामले सामने आये हैं। एसएसपी बरिंदर जीत सिंह ने खुलासा किया कि जसपुर व बाजपुर के मामलों की जांच के बाद जो तथ्य सामने आये हैं वे चैंकाने वाले हैं। जांच में पता चला है कि इनमें सामान्य वर्ग के छात्रों को अनुसूचित जाति जनजाति व अन्य पिछड़ा वर्ग का दिखाकर हेराफेरी की गयी है। साथ ही निजी कालेजों में फर्जी दाखिला दिखाया गया है। कुछ लाभार्थियों के पतों की तसदीक नहीं हो पायी है। दलालों के माध्यम से कूटरचित दस्तावेज तैयार कर रकम को हडपा गया है।
उन्होंने बताया कि यहां भी घोटाले को दलालों के माध्यम से अंजाम दिया गया है। जांच में पता चला है कि दलालों ने बाजपुर व जसपुर के छात्रों के फर्जी दस्तावेजों के बल पर क्रमशः मेरठ के परतापुर स्थित ऋषि इंस्टीट्यूट आफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नालाॅली व हरियाणा रेवाड़ी स्थित ब्राइटलैंड कालेज में फर्जी दस्तावेजों के बल पर दाखिला व बैंक खाता खुलावाकर लाखों रूपये की छात्रवृत्ति हड़प ली गयी है। उन्होंने बताया कि जसपुर व बाजपुर में दोषियों के खिलाफ मामला दर्ज करने की तैयारी की जा रही है।
उल्लेखनीय है कि उच्च न्यायालय ने देहरादून निवासी रवीन्द्र जुगरान की याचिका पर सुनवाई के बाद छात्रवृत्ति घोटाले में एसआईटी के दो दलों का गठन किया है। हरिद्वार व देहरादून जनपद के छात्रवृत्ति घोटाले की जांच आईपीएस अधिकारी टीएस मंजूनाथ व शेष 11 जनपदों की जांच आईपीएस अधिकारी संजय गुंज्याल की अगुवाई वाली एसआईटी को सौंपी गयी है। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया है कि यह घोटाला 500 करोड़ रूपये से अधिक का है। इसकी जांच सीबीआई से करायी जाये। साथ ही घोटाला 2003 से 2016 के मध्य अंजाम दिया गया है।
सं, शोभित
वार्ता
image