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वेंकैया का साहित्यिक कृतियों के अनुवाद का आह्वान

हैदराबाद 02 अक्टूबर (वार्ता) उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने बुधवार को अलग-अलग भाषाओं की उत्कृष्ट साहित्यिक कृतियों का जितना संभव हो सके उतनी भारतीय भाषाओं के साथ विदेशी भाषाओं में भी अनुवाद का आह्वान किया।
श्री नायडू ने यहां ‘कवि सम्राट’ विश्वनाथन सत्यनारायण द्वारा लिखित महाकाव्य तेलुगु उपन्यास वेईपादडालु का अंग्रेजी अनुवाद के विमोचन करते हुए कहा कि हमारे जैसे देश में, राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने में अनुवाद भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इस तरह के कदम दुनिया भर के पाठकों को न केवल अच्छे रचनात्मक साहित्य का आनंद लेने में सक्षम बनाएंगे बल्कि उन्हें विभिन्न संस्कृतियों और जीवन के तरीकों से भी अवगत कराएंगे।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय भाषाओं में विभिन्न साहित्यिक रूपों में कार्यों को डिजिटलीकरण और संरक्षित करने तथा उनके अनुवादों को बढ़ावा देने की तत्काल आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्यों के अनुवाद से पाठकों को लेखक और उसकी तात्कालिक दुनिया की परंपराओं, संस्कृति, रीति-रिवाजों, मूल्यों और विचारों के बारे में पता चल सकेगा।
उपराष्ट्रपति ने विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में अनुवाद को बढ़ावा देने के लिए अलग विभाग स्थापित करने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
उन्होंने सभी राज्यों से प्राथमिक शिक्षा तक मातृभाषा को अनिवार्य बनाने का भी आग्रह किया।
विश्वनाथन सत्यनारायण की प्रतिभा के बारे में चर्चा करते हुए श्री नायडू ने कहा कि महान लेखक ने शिक्षा, परिवार, समाज, अर्थव्यवस्था, राजनीति, संस्कृति, गरीबी और अन्य सभी समस्याओं को स्पष्ट दूरदर्शिता के साथ अपनी लेखनी में व्यक्त किया है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि लेखक ने पढ़ने और शिक्षा के बीच एक महत्वपूर्ण अंतर देखा और कहा कि शिक्षा के जरिये व्यक्तियों को सशक्त बनाना चाहिए और छात्रों में अच्छा व्यवहार, अनुशासन और क्षमता पैदा करना चाहिए।
श्री नायडू ने कहा कि ‘वेईपडागालु’ जैसी अच्छी पुस्तकें पाठक को एक नई दुनिया में ले जाती हैं और लेखक के कथन के अनुसार जीवन के कई पहलुओं के बारे में उसकी समझ को समृद्ध करती हैं। उन्होंने कहा कि महान कार्यों में हमेशा ही पाठकों के मन मेें अमिट छाप छोड़ने की शक्ति होती है।
समीक्षकों द्वारा प्रशंसित इस उपन्यास को इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री पी वी नरसिम्हा राव द्वारा ‘सहस्त्र चरण’ के रूप में हिंदी में अनुवादित किया गया था।
उपराष्ट्रपति ने साहित्यिक आलोचना के लिए डॉ. सी मृणालिनी को विश्वनाथ साहित्य पुरस्कार और द्विभाषी कविता के लिए डॉ. वैदेही सशिधर को वेलचेला केशव राव पुरस्कार भी प्रदान किया।
संजय, उप्रेती
वार्ता
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