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त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में भ्रष्टाचार पर लगाम के लिये नये दिशा निर्देश तय करे आयोग

नैनीताल, 17 अक्टूबर (वार्ता) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने प्रदेश के त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिये चुनाव आयोग को नये दिशा निर्देश तय करने को कहा और मौजूदा नियमावली 17 साल पुरानी हो गयी है। इसलिये भ्रष्टाचार के नये स्वरूपों पर लगाम लगाने के लिये नये नवीनतम दिशा निर्देश तय किये जाने चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ ने 67 पेज का फैसला जारी करते हुए सुझाव दिया कि जिला पंचायत अध्यक्ष एवं ब्लाक प्रमुख के प्रत्यक्ष चुनाव के लिये आयोग को कम से कम समय तय करना चाहिए। यानी चुनाव प्रक्रिया की घोषणा एवं चुनाव की तिथि में कम से कम अंतर होना चाहिए। इससे भ्रष्टाचार पर अंकुश लग सकेगा।
अदालत ने यह भी कहा कि चुनाव आयोग जिला पंचायत एवं क्षेत्र पंचायत सदस्यों के विदेश दौरों और राज्य के रिसाॅर्ट्स और होटलों में ठहराये जाने की स्थिति में उनके धन के स्रोतों का पता लगा सकता है। सदस्यों के विदेश यात्रा की सत्यापन की पुष्टि उनके पासपोर्ट से की जा सकती है। अदालत ने अपने आदेश में यह भी कहा कि यदि दोनों की चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करने के गंभीर संकेत मिलते हैं तो आयोग के पास चुनाव रद्द करने की शक्ति होनी चाहिए। यदि चुनाव आयोग इसके बावजूद ठोस कार्यवाही नहीं करता है तो भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालय को अधिकार है।
अदालत ने कहा कि राज्य चुनाव आयोग याचिका में दिये गये सुझावों पर विचार करेगा और निर्वाचन अधिकारियों के नाम एवं पदनामों के बारे में आवश्यक दिशा निर्देश जारी किये जाने चाहिए और इनका व्यापक प्रचार किया जाना चाहिए जिससे आम जनता जागरूक हो सके और भ्रष्ट चुनावी प्रथा के खिलाफ आगे आ सकें।
अदालत ने यह भी कहा कि आयोग को स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित कराने व भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिये अपने संवैधानिक दायित्वों के निर्वहन के लिये सक्रिय भूमिका अदा करनी चाहिए। आगे कहा कि आयोग को इसके लिये लिखित शिकायत प्राप्त होने का इंतजार करने के बजाय सूचना के विभिन्न सूचना स्रोतों पर कार्यवाही अमल में लानी चाहिए।
अदालत ने ये सुझाव देहरादून निवासी विपुल जैन एवं आशीर्वाद गोस्वामी की ओर से इसी साल दायर जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए गुरूवार को दिये। अधिवक्ता अभिजय नेगी ने बताया कि याचिका में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों खासकर जिला पंचायत अध्यक्ष एवं क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष (ब्लाक प्रमुख) के चुनावों में भ्रष्टाचार तथा अपराध का मुद्दा उठाया गया था। कहा गया था कि इन चुनावों में घूसखोरी और अपहरण जैसी घटनाओं को अंजाम दिया जाता है।
श्री नेगी ने बताया कि याचिकाकर्ताओं की ओर से इन दोनों के चुनाव सीधे जनता से कराने की मांग की गयी थी।
रवीन्द्र, उप्रेती
वार्ता
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