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हाईकोर्ट ने कशिश हत्याकांड मुख्य अभियुक्त की मृत्युदंड सजा को रखा बरकरार

नैनीताल, 18 अक्टूबर (वार्ता) उत्तराखंड के बहुचर्चित कशिश (बदला हुआ नाम) हत्याकांड में उच्च न्यायालय ने मुख्य अभियुक्त की मृत्युदंड की सजा को बरकरार रखा है। इस जघन्य हत्याकांड को अदालत ने ‘रेयर आॅफ द रेअरेस्ट’ माना है अौर अदालत ने सह अभियुक्त प्रेमपाल की सजा को भी बरकरार रखा है।
अदालत ने सरकार की अपील को भी खारिज कर दिया है। इससे पहले निचली अदालत भी अभियुक्त को यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण करने संबंधी (पोक्सो) अधिनियम के तहत मृत्युदंड की सजा सुना चुकी है।
यह जानकारी न्यायमित्र अधिवक्ता पीयूष गर्ग ने दी है। यह जघन्य हत्याकांड 20 नवम्बर 2014 को प्रकाश में आया था। पिथौरागढ़ निवासी छह साल की मासूम कशिश अपने परिजनों के साथ हल्द्वानी के काठगोदाम में एक शादी समारोह में शामिल होने आयी थी। शादी समारोह उस समय मातम में बदल गया जब कशिश अचानक लापता हो गयी और छह दिन बाद उसका शव गौला नदी से सटे क्षेत्र से बरामद हुआ।
इस घटना के बाद उत्तराखंड में सड़क से लेकर सदन तक बवाल मच गया। राज्य की समस्त जनता आक्रोशित हो गयी थी। हल्द्वानी एवं पिथौरागढ़ में लोग कई दिनों तक आंदोलित रहे। दोषियों को पकड़ने के लिये कई दिनों तक बंद एवं चक्का जाम किया गया। लोगों के गुस्से को देखते हुए पुलिस के लिये भी यह मामला चुनौती बन गया।
पुलिस ने 28 नवम्बर को अभियुक्त अख्तर अली को चंडीगढ़ से गिरफ्तार कर लिया। अख्तर अली बिहार का रहने वाला है और वह गौला में ट्रक चलाने का काम करता था। पुलिस उससे पहले अख्तर अली के दो साथियों प्रेमपाल एवं जूनियर मसीह को भी गिरफ्तार कर चुकी थी।
इसके बाद पोक्सो अधिनिमय के तहत मामला दर्ज किया गया और मामले की सुनवाई के लिये विशेष अदालत का गठन किया गया। वर्ष 2016 में एडीजे स्पेशल ने अख्तर अली को दोषी करार देते हुए उसे मृत्युदंड की सजा सुनायी जबकि प्रेमपाल को साजिश में शामिल होने के लिये पांच साल जेल की सजा सुनाई। अदालत द्वारा तीसरे आरोपी जूनियर मसीह को बरी कर दिया गया।
इसके बाद अभियुक्त अख्तर अली की ओर से मामले को उच्च न्यायालय चुनौती दी गयी। न्यायमूर्ति आलोक सिंह एवं न्यायमूर्ति रवीन्द्र मैठाणी की पीठ ने मामले को जघन्य करार देते हुए अख्तर अली को राहत देने से इन्कार कर दिया और निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा। अदालत ने सह अभियुक्त प्रेमपाल की सजा को बरकरार रखा है।
इसी के साथ ही खंडपीठ ने सरकार एवं महेशचंद की अपील को नामंजूर कर दिया। दोनों की ओर से कहा गया था कि प्रेमपाल को कम सजा दी गयी है। साथ ही जूनियर मसीह को भी इस मामले में सजा दी जानी चाहिए। दूसरी ओर याचिकाकर्ता की अधिवक्ता मनीषा भंडारी ने कहा कि वह उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटायेंगे।
रवीन्द्र, उप्रेती
वार्ता
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