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पूर्व मुख्यमंत्रियों के अध्यादेश के मामले में सरकार से मांगा प्रतिशपथ पत्र

नैनीताल, 18 अक्टूबर (वार्ता) उत्तराखंड के चार पूर्व मुख्यमंत्रियाें को सुविधायें देने के मामले में पारित अध्यादेश की वैधानिकता के मामले में उच्च न्यायालय में शुक्रवार को सुनवाई में सरकार से प्रतिशपथपत्र पेश करने को कहा।
याचिकाकर्ता की ओर से सरकार के रुख का विरोध किया गया। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि सरकार की ओर से सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को व्यक्तिगत रूप से नोटिस उपलब्ध कराने के बजाय उनके निजी सचिवों के माध्यम से उपलब्ध कराये गये हैं जो कि गलत है। अदालत ने भी कहा कि राष्ट्रपति एवं राज्यपाल को ही संविधान में इस मामले में ही छूट प्रदान है जबकि पूर्व मुख्यमंत्रियों को नहीं है।
याचिकाकर्ता की ओर से यह भी आपत्ति दर्ज की गयी कि पूर्व मुख्यमंत्री न तो इस मामले में खुद पेश हुए और न ही अपना प्रतिनिधि को पेश किया। इसके बाद उच्च न्यायालय ने सरकार से इस मामले में 18 नवम्बर तक प्रतिशपथ पत्र पेश करने के निर्देश दिये है।
इस मामले में महाराष्ट्र के राज्यपाल एवं प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी को भी पक्षकार बनाया गया है। उन्हें भी नोटिस जारी किये गये हैं। इनके अलावा मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूरी और विजय बहुगुणा को भी पक्षकार बनाया गया है।
देहरादून की गैर सरकारी संस्था रूरल लिटिगेशन एंड एनटाइटलमेंट केन्द्र (रलेक) की ओर से मामले को चुनौती दी गयी है। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया है कि अध्यादेश असंवैधानिक है और उच्च न्यायालय के 03 मई 2019 को दिये गये आदेश को पलटने के लिये सरकार अध्यादेश लायी है। जो कि गलत है। सरकार को इस प्रकार की कोई विधायी शक्ति प्राप्त नहीं है।
राज्यपाल श्रीमती बेबी रानी मौर्य की ओर से विगत 05 सितम्बर को भूतपूर्व मुख्यमंत्री सुविधा (आवासीय एवं अन्य सुविधायें) अध्यादेश, 2019 को मंजूरी दी गयी थी। उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद इस अध्यादेश को राज्य के पूर्व मुख्यमंत्रियों को राहत देने के रूप में देखा गया। न्यायालय ने सभी को छह माह के अंदर 2.8 करोड़ रुपये की धनराशि सरकारी आवास एवं अन्य मदों के बदले में जमा करने के निर्देश दिये थे।
रलेक संस्था की ओर से दायर जनहित याचिका की पर फैसला देते हुए उच्च न्यायालय ने सभी पांच मुख्यमंत्रियों को बाजार दर पर आवास किराया समेत अन्य चीजों का भुगतान करने के निर्देश दिये थे। अदालत ने यह भी कहा था कि यदि सभी पूर्व मुख्यमंत्री किराया जमा नहीं करते हैं तो सरकार उनसे वसूली की कार्यवाही अमल में ला सकती है।
इस मामले में अगली सुनवाई 18 नवंबर मुकर्रर की गयी है।
रवीन्द्र, उप्रेती
वार्ता
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