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त्रिपुरा में घोटाला आरोपी गंभीर हालत में आईसीयू में भर्ती

अगरतला 21 अक्टूबर (वार्ता) त्रिपुरा में पुलिस पर हिरासत में रहे 164 करोड़ रुपये के लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) घोटाले के आरोपी एवं सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता सुनील भौमिक के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने और गंभीर लापरवाही बरतने का आरोप लगा है।
सुनील (66) को पुलिस हिरासत से कल शाम अगरतला सरकारी मेडिकल कॉलेज (एजीएमसी) के आईसीयू में भर्ती कराना पड़ा। विभिन्न बीमारियों के शिकार सुनील की हालत गंभीर बनी हुई है। मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार सुनील मनोवैज्ञानिक आघात सहित कई बीमारियों के शिकार हैं और उनका रक्तचाप एवं रक्त शर्करा का स्तर आसामान्य रूप से काफी बढ़ा हुआ है।
बताया जाता है कि सुनील का स्वास्थ्य पिछले दो दिन से बिगड़ रहा था, लेकिन पुलिस ने उनके भोजन और दवा सहित अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया। अदालत ने हालांकि पश्चिम त्रिपुरा के पुलिस अधीक्षक को इस संबंध में विशेष निर्देश दिये थे लेकिन पुलिस ने इसकी परवाह नहीं की।
सूत्रों ने बताया कि पुलिस सुनील के लगभग बेहोश होने पर उसे पश्चिम अगरतला पुलिस स्टेशन सेल से दोपहर के बाद इंदिरा गांधी मेमोरियल (आईजीएम) अस्पताल ले गई लेकिन उनकी गंभीर स्वास्थ्य स्थिति को देखते हुए उन्हें एजीएमसी में स्थानांतरित कर दिया गया। सुनील को शुरू में 14 अक्टूबर को दो दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया था और फिर चार दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया। इसके बाद फिर 19 अक्टूबर को अदालत ने उन्हें फिर से पुलिस हिरासत में भेज दिया।
सुनील की पत्नी कल्याणी भौमिक ने आईसीयू में पति को देखने के बाद मीडिया से कहा, “वह खराब जीवन-शैली और बुढ़ापे की बीमारियों से पीड़ित हैं, लेकिन जब उन्हें गिरफ्तार किया गया था तब तक वह बिल्कुल ठीक थे। पुलिस को बार-बार बताया गया कि उनके भोजन की एक विशेष दिनचर्या है, जिसके बाद वह बड़ी संख्या में दवाओं का उपयोग करते हैं।”
कल्याणी ने पूछा,“अगर अदालत उन्हें (सुनील को) अपराध के लिए दोषी ठहराती है, तो निश्चित रूप से कानून के अनुसार उन्हें दंडित किया जाएगा, लेकिन फैसला आने से पहले मेरे पति के साथ दुर्व्यवहार किया गया और पुलिस हिरासत में सजा दी गई और वह अब जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं। इस उम्र तक, मैं कभी भी सुनील की ऐसी बीमारी और कमजोरी के बारे में नहीं जान पायी इसलिए मैं जानना चाहती हूं कि पुलिस हिरासत में उनके साथ क्या हुआ था और इस क्षति का भुगतान कौन करेगा?”
इस बीच पुलिस सूत्रों ने कहा कि 19 अक्टूबर की रात को जब सुनील पुलिस सेल में लंबी पूछताछ के बाद बीमार पाये गये, तो उन्हें सेल से बाहर लाया गया और उन्हें एक कक्ष के अंदर आराम करने की अनुमति दी गई। कुछ देर के बाद पुलिस ने पाया कि वह गायब हैं और उनकी खोज शुरू की गयी। थोड़ी देर में, वह पुलिस स्टेशन के पास एक सुनसान सड़क पर घूमते हुए पाये गये और बाद में पुलिस ने उन्हें अपशब्द कहें जिससे वह अंदर से टूट गये और उन्हें मनोवैज्ञानिक आघात पहुंचा।
सुनील की पत्नी के आरोपों पर सहमति जताते हुए उनके वकील और वरिष्ठ अधिवक्ता पीयूष विश्वास ने कहा, “उन सभी बिंदुओं को लिखित रूप में 19 अक्टूबर को अदालत की जानकारी में लाया गया। दुर्भाग्य से, अदालत ने उन्हें फिर से उसी पुलिस सेल में भेजने के अलावा कुछ भी नहीं किया। उच्चतम न्यायालय के निर्देश के अनुसार किसी भी आरोपी को पुलिस हिरासत में असुविधा महसूस नहीं होनी चाहिए और प्राधिकरण को आरोपी को सेल में सहज बनाना चाहिए लेकिन त्रिपुरा में किसी को इसकी परवाह नहीं है।”
श्री विश्वास ने कहा,“मैं खुद को दोषी महसूस कर रहा हूं क्योंकि मैं अपने मुवक्किल सुनील भौमिक के लिए अब तक कुछ भी नहीं कर सका। उन्होंने मुझे बार-बार बताया कि वह भगवान की कृपा से बच रहे हैं लेकिन मैं यह अवश्य सुनिश्चित करूंगा कि किसी अन्य व्यक्ति को पुलिस हिरासत में उनकी जैसी स्थिति का सामना न करना पड़े।”
संजय, यामिनी
वार्ता
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