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हाईकोर्ट ने श्रीनगर एनआईटी प्रकरण को लेकर केन्द्र, एनआईटी से मांगा जवाब

नैनीताल, 18 नवंबर (वार्ता) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने प्रदेश में स्थित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) के स्थायी परिसर के विवाद के मामले में दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए सोमवार को केन्द्र सरकार और एनआईटी से याचिकाकर्ता के सवालों के जवाब देने को कहा है।
मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन की अगुवाई वाली युगलपीठ ने आज केन्द्र सरकार और राष्ट्रीय प्रौद्योगिक संस्थान से याचिकाकर्ता के सवालों के जवाव देने को कहा। अदालत की ओर से एनआईटी के पूर्व छात्र जसबीर सिंह की ओर से पेश जनहित याचिका पर सुनवाई की गयी। अदालत ने केन्द्र और एनआईटी को निर्देश दिये कि श्रीनगर एनआईटी अस्थायी परिसर में अध्यापन से संबंधित सुविधाओं को लेकर तीन सप्ताह में जवाब पेश करे। अदालत ने यह भी कहा कि अध्यापकों की वास्तविक संख्या के बारे में शपथपत्र में उल्लेख किया जाये।
इससे पहले याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि श्रीनगर स्थित अस्थायी परिसर में तमाम तरह की असुविधायें मौजूद हैं। परिसर में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। छात्रों के लिये न तो एटीएम की सुविधा उपलब्ध है और नहीं किताब खरीदने के लिये दुकान है। वहां मौसम काफी गर्म है। दस साल में सुविधाओं का विस्तार नहीं किया गया है।
इसके बाद उच्च न्यायालय ने केन्द्र सरकार और एनआईटी को तीन सप्ताह में सभी बिन्दुओं पर जवाब पेश करने को कहा है। याचिकाकर्ता की ओर से जनहित याचिका के माध्यम से एनआईटी के श्रीनगर परिसर को अन्यत्र स्थानांतरित करने की मांग की गयी है। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि केन्द्र और राज्य सरकार दस वर्ष बीत जाने के बाद भी एनआईटी के स्थायी परिसर नहीं बना पाये हैं। सुमाड़ी स्थित भूमि एनआईटी के स्थायी परिसर के लिये उपयुक्त नहीं है।
दूसरी ओर केन्द्र सरकार की ओर से श्रीनगर के सुमाड़ी स्थित भूमि पर ही एनआईटी के स्थायी परिसर के निर्माण की योजना बनायी है। मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के अगुवाई में राज्य सरकार ने हाल ही में एनआईटी के स्थायी परिसर का शिलान्यास भी कर दिया है।
रवीन्द्र, उप्रेती
वार्ता
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