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हाईकोर्ट ने खंडूरी, बहुगुणा को प्रतिशपथ पत्र पेश करने के दिये निर्देश

नैनीताल, 18 नवंबर (वार्ता) उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्रियाें को सुविधायें देने के मामले में पारित अध्यादेश की वैधानिकता के मामले में दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए सोमवार को उच्च न्यायालय ने पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूरी और श्री विजय बहुगुणा को एक सप्ताह में प्रतिशपथ पत्र पेश करने के निर्देश दिये हैं।
मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ की ओर से देहरादून की गैर सरकारी संस्था रूरल लिटिगेशन एंड एनटाइटलमेंट केन्द्र (रलेक) की ओर से दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए ये निर्देश दिये गये हैं। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया है कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को सुविधा देने के मामले में सरकार द्वारा लाया गया अध्यादेश गैरकानूनी है। सरकार उच्च न्यायालय के 03 मई, 2019 के आदेश को रद्द करने के लिये इस अध्यादेश को लायी है।
मामले की सुनवाई के बाद न्यायालय की ओर से इस प्रकरण में सरकार से जवाब मांगा गया था और चार पूर्व मुख्यमंत्रियों को नोटिस जारी किया गया था। अदालत के निर्देश पर पूर्व मुख्यमंत्री एवं महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को भी पक्षकार बनाया गया है। श्री गुप्ता ने बताया कि आज श्री खंडूड़ी और श्री बहुगुणा के अधिवक्ताओं की ओर से प्रतिशपथ पत्र पेश करने के लिये समय की मांग की गयी। अदालत ने उन्हें एक सप्ताह का समय दिया है।
इस प्रकरण में श्री कोश्यारी के अलावा मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, श्री खंडूरी और श्री बहुगुणा पक्षकार है। राज्यपाल बेबी रानी मौर्य की ओर से इसी वर्ष 05 सितम्बर 2019 को उत्तराखंड भूतपूर्व मुख्यमंत्री सुविधा (आवासीय एवं अन्य सुविधायें) अध्यादेश, 2019 को मंजूरी दी गयी।
न्यायालय ने रलेक की ओर से ही दायर जनहित याचिका की सुनवाई के बाद 03 मई 2019 को श्री नारायण दत्त तिवारी समेत उपरोक्त चार पूर्व मुख्यमंत्रियों को छह माह के अंदर आवास किराया के अलावा अन्य मदों में 2.8 करोड़ रुपये की धनराशि जमा करने के निर्देश दिये थे। अदालत ने यह भी निर्देश दिये थे कि सरकार वसूली की कार्यवाही भी अमल में ला सकती है। इसी के बाद सरकार इस प्रकरण में अध्यादेश ले कर आयी जिसे रलेक की ओर से इसी साल सितम्बर में चुनौती दी गयी।
रवीन्द्र, उप्रेती
वार्ता
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