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हाईकोर्ट ने बिजली मामले में यूपीसीएल प्रबंध निदेशक को किया तलब

नैनीताल, 14 नवम्बर (वार्ता) उत्तराखंड विद्युत निगम लिमिटेड (यूपीसीएल) के पास कर्मचारियों द्वारा बेहिसाब बिजली खर्च के मामले में कोई जवाब नहीं है और निगम उच्च न्यायालय में चल रहीं सुनवाई से कन्नी काट रहा है। न्यायालय ने निगम के इस रवैये पर गहरी नाराजगी जाहिर करते हुए निगम के प्रबंध निदेशक को दो दिसंबर को रिकॉर्ड के साथ पेश होने को कहा है।
मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में देहरादून के यूथ क्लब की ओर से दायर की गयी जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। अदालत की ओर से पिछली सुनवाई को यूपीसीएल, उत्तराखंड जल विद्युत निगम (यूजेवीएनएल) और पावर ट्रांसमिशन काॅरपोरेशन ऑफ उत्तराखंड लिमिटेड (पिटकुल) से सेवानिवृत्त एवं कार्यरत कर्मचारियों द्वारा खर्च की गयी बिजली के संबंध में रिकार्ड पेश करने को कहा था।
अदालत में सोमवार को सुनवाई के दौरान यूपीसीएल की ओर से कोई भी अधिवक्ता पेश नहीं हुआ। इसे अदालत ने काफी गंभीरता से लिया और यूपीसीएल के प्रबंध निदेशक को याचिकाकर्ता की ओर से उठाये गये सभी बिन्दुओं सभी रिकाॅर्ड के साथ आगामी दो दिसंबर को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के निर्देश दे दिये।
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि प्रदेश में विद्युत निगम के लगभग 19000 वर्तमान एवं सेवानिवृत्त कर्मचारी मौजूद हैं। विद्युत निगम की ओर से मामूली से शुल्क पर सभी को बेहिसाब बिजली मुहैया करायी जा रही है। हजारों कर्मचारियों के घरों में बिजली के मीटर तक उपलब्ध नहीं हैं और जहां मीटर उपलब्ध हैं वहां अधिकांश खराब हालत में हैं। निगम के पास इसका कोई ब्योरा उपलब्ध नहीं है। याचिकाकर्ता की ओर से याचिका में यह भी खुलासा किया गया कि यूपीसीएल के प्रबंध निदेशक की ओर से एक माह में 92 हजार रुपये की बिजली खर्च की गयी है।
रवीन्द्र, उप्रेती
वार्ता
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