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हाईकोर्ट ने एनआईवीएच में निदेशक की नियुक्ति के मामले में केन्द्र से मांगा जवाब

नैनीताल, 27 नवम्बर (वार्ता) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने यौन शोषण एवं दुष्कर्म की घटनाओं के मद्देनजर देहरादून स्थित राष्ट्रीय दृष्टिबाधित संस्थान (एनआईवीएच) में नियमित निदेशक की नियुक्ति नहीं किये जाने के मामले को बेहद गंभीरता से लिया है। साथ ही केन्द्र सरकार को इस मामले में गुरूवार तक जवाब पेश करने को कहा है।
मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ में बुधवार को इस मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। केन्द्र सरकार की ओर से आज अदालत को बताया गया कि यौन शोषण की घटना प्रकाश में आने के बाद संस्थान की नियमित निदेशक को सिकंदराबाद स्थानांतरित कर दिया गया है। नियमित निदेशक की नियुक्ति नहीं की गयी है। निदेशक का पद एक ही है। केन्द्र के इस तर्क से अदालत बिल्कुल भी सहमत नहीं हुई और केन्द्र को मामले में और स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिये हैं। यह जानकारी अधिवक्ता अवतार सिंह रावत ने दी।
संस्थान वर्ष 2018 में उस वक्त चर्चाओं में आया था जब समाचार पत्रों में यौन शोषण की खबरें सुर्खियां बनीं थीं। उच्च न्यायालय ने इसके बाद इस प्रकरण में स्वतः संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका दायर कर ली थी। मासूम बच्चों के यौन शोषण का आरोप संस्थान के संगीत शिक्षक पर लगाया गया था। यही नहीं इसी साल 02 सितम्बर को भी संस्थान एक बार फिर चर्चाओं में आया था जब संस्थान के एक मासूम छात्र ने अपने सीनियर पर दुष्कर्म का आरोप लगाया था। इस मामले में 11 सितम्बर को राजपुर रोड थाने में मामला दर्ज कर लिया गया था।
इस प्रकरण के सामने आने के बाद अदालत ने पूरे मामले को गंभीरता से लिया था और केन्द्र सरकार को आरोपी शिक्षक के खिलाफ कार्यवाही करने के साथ साथ संस्थान में सीसीटीवी कैमरे लगाने एवं नियमित निदेशक की नियुक्ति करने के निर्देश दिये थे। अदालत ने इन प्रकरणों के सामने आने के बाद बेहद सख्त टिप्पणियां की थीं।
रवीन्द्र, उप्रेती
वार्ता
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