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गंगा तट पर अतिक्रमण मामले में जिलाधिकारी पौड़ी हाईकोर्ट में तलब

नैनीताल, 04 दिसंबर (वार्ता) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने ऋषिकेश स्थित स्वर्गाश्रम में गंगा तट पर सरकारी भूमि पर अतिक्रमण एवं अवैध निर्माण के मामले में सुनवाई करते हुए बुधवार को पौड़ी के जिलाधिकारी धीरज गर्ब्याल को 16 दिसंबर को अदालत में तलब किया है और उन्हें निर्देश दिया कि वह व्यक्तिगत रूप से पेश होकर अतिक्रमण के मामले में जवाब दें।
मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ में अधिवक्ता विवेक शुक्ला की ओर से दायर जनहित याचिका पर आज सुनवाई हुई। अधिवक्ता विवेक शुक्ला की ओर से अदालत को बताया गया कि जिलाधिकारी पौड़ी की ओर इस प्रकरण में रिपोर्ट पेश नहीं की गयी है। सरकारी विभाग कार्यवाही के नाम पर लीपापोती करने में जुटे हैं। उन्होंने अदालत को यह भी बताया कि उपजिलाधिकारी एवं सिंचाई विभाग ने स्वीकारा कि सरकारी भूमि पर अतिक्रमण किया गया है।
श्री शुक्ला ने बताया कि इसके बाद उच्च न्यायालय की ओर से इस मामले को गंभीरता से लिया गया और अदालत ने जिलाधिकारी पौड़ी को आगामी 16 दिसंबर को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के निर्देश दिये हैं। इससे पहले अदालत ने विगत 22 नवम्बर को जिलाधिकारी पौड़ी को स्वर्गाश्रम में गंगा तट पर परमार्थ निकेतन की ओर से सरकारी भूमि पर किये गये अतिक्रमण के मामले में विस्तृत रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिये थे। साथ ही प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भी परमार्थ निकेतन आश्रम की जांच कर आवासीय कमरों की संख्या और आश्रम में मौजूद सीवर ट्रीट प्लांट के संदर्भ में रिपोर्ट पेश करने को कहा था। अदालत ने बोर्ड को यह भी निर्देश दिया कि परमार्थ निकेतन आश्रम का सीवर का पानी गंगा नदी में प्रवाहित हो रहा है या नहीं। अदालत की ओर से स्वतः संज्ञान लेते हुए प्रदेश के राजस्व सचिव को भी इस मामले में पक्षकार बनाया गया है।
अधिवक्ता श्री शुक्ला की एक जनहित याचिका दायर कर कहा गया कि स्वर्गाश्रम स्थित परमार्थ निकेतन आश्रम की ओर से गंगा नदी के किनारे सिंचाई विभाग की जमीन पर अतिक्रमण किया गया है। अतिक्रमित जमीन पर अवैध निर्माण भी किया जा रहा है और आश्रम द्वारा इस जमीन का व्यावसायिक उपयोग भी किया जा रहा है। जिससे गंगा नदी में प्रदूषण बढ़ रहा है। गंगा घाट पर सरकारी भूमि पर शिव की मूर्ति स्थापित की गयी है और मूर्ति तक आने-जाने के लिये पैदल पुल का निर्माण किया गया है। हरिद्वार रूड़की विकास प्राधिकरण, सिंचाई विभाग व स्थानीय प्रशासन इस मामले में कोई कार्यवाही नहीं कर रहे हैं।
रवीन्द्र, उप्रेती
वार्ता
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