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ऋषिकेश की वन भूमि को खाली कराये सरकार: हाईकोर्ट

नैनीताल, 13 दिसंबर (वार्ता) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने ऋषिकेश के बीरपुर खुर्द गांव में वन भूमि पर अतिक्रमण के मामले में दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए शुक्रवार को सरकार को निर्देश दिये कि वह छह हफ्ते के अंदर पांच एकड़ से अधिक भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराये।
अदालत ने वन विभाग को खाली करायी गयी भूमि को अपने कब्जे में लेने के भी निर्देश दिये हैं। साथ ही सरकार को कहा है कि वह छह हफ्ते के अंदर मामले की क्रियान्वयन रिपोर्ट अदालत में पेश करे।
मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ ने हरिद्वार निवासी अर्चना शुक्ला की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद ये निर्देश दिये हैं। अधिवक्ता विवेक शुक्ला ने बताया कि देहरादून के जिलाधिकारी एवं प्रभागीय वनाधिकारी की ओर से अदालत में रिपोर्ट पेशकर कहा गया कि बीरपुर खुर्द गांव में 5.97 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण किया गया है।
श्री शुक्ला ने आगे बताया कि इसके बाद अदालत ने प्रमुख सचिव वन को निर्देश दिया है कि वह छह हफ्ते के अंदर अतिक्रमित भूमि को खाली करवायें और अपने कब्जे में लें। साथ ही अदालत ने कहा है कि छह फरवरी तक इस मामले की प्रगति रिपोर्ट अदालत में पेश करे। श्री शुक्ला ने यह भी बताया कि अदालत ने प्रतिवादी परमार्थ निकेतन के मुनि चिदानंद को भी निर्देश दिये कि वह छह हफ्ते के अंदर अदालत में प्रतिशपथ पत्र पेश करे।
याचिकाकर्ता की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि बीरपुर खुर्द गांव में वन विभाग की 35 एकड़ भूमि पर परमार्थ निकेतन की ओर से कब्जा किया गया है। यहां बड़े बड़े भवन, गौशालायें एवं शौचालय बनाये गये हैं। गौ, गुरूकुल एवं गंगा के नाम पर वन भूमि पर अतिक्रमण किया गया है। हालांकि पशुलोक अस्पताल की ओर से कहा गया कि इस भूमि को 30 साल की लीज पर दिया गया था और लीज समाप्त होने के बाद अस्पताल ने इस भूमि को वापस कर दिया है।
इससे पहले अदालत ने परमार्थ निकेतन के संचालक मुनि चिदानंद को भी नोटिस जारी किया और देहरादून के जिलाधिकारी को निर्देश दिया था कि वे प्रतिवादी को नोटिस उपलब्ध कराना सुनिश्चित करवायें।
रवीन्द्र, उप्रेती
वार्ता
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