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परिसंपत्तियों के मामले में उप्र और उत्तराखंड सरकार गंभीर नहीं

नैनीताल, 03 जनवरी (वार्ता) उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार परिसंपत्तियों के बंटवारे के मामले में गंभीर नजर नहीं आ रही हैं और परिसंपत्तियों के हस्तांतरण के मामले में केन्द्र सरकार के लिखित अनुरोध के बावजूद दोनों सरकारों ने केन्द्र को वस्तुस्थिति से अवगत नहीं कराया है।
केन्द्र सरकार की ओर से शुक्रवार को यह बात उत्तराखंड उच्च न्यायालय के संज्ञान में लायी गयी। इसके बाद उच्च न्यायालय की ओर से केन्द्र सरकार को निर्देश दिये गये कि वह इसी बात को शपथपत्र के माध्यम से अदालत में पेश करे।
उत्तराखंड परिवहन निगम कर्मचारी यूनियन की ओर से 700 करोड़ रुपये के भुगतान के मामले को लेकर उत्तराखंड उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गयी। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया है कि परिसंपत्तियों के हस्तांतरण के मामले में केन्द्र सरकार के तय फार्मूले के अनुसार उप्र सरकार की ओर से उत्तराखंड परिवहन निगम को 700 करोड़ रूपये का हस्तांतरण किया जाना है लेकिन उप्र सरकार यह धनराशि अवमुक्त नहीं कर रही है।
याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को यह भी बताया गया कि इस धनराशि का हस्तांतरण नहीं होने से उत्तराखंड परिवहन निगम की आर्थिक स्थिति बदहाल हो गयी है। कर्मचारियों को उनके देयकों का भुगतान नहीं हो पा रहा है। बसों की संख्या लगातार घटती जा रही है। सरकार को ऋण लेकर बसों का बेड़ा बढ़ाना पड़ रहा है जिससे परिवहन निगम पर आर्थिक बोझ बढ़ता जा रहा है। हालत यहां तक पहुंच गयी है कि कर्मचारियों को वेतन का भुगतान भी नहीं हो पा रहा है। सेवानिवृत्त कर्मचारियों को भी देयकों का भुगतान नहीं हो पा रहा है।
मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ में हुई। इसके बाद अदालत ने केन्द्र सरकार को पक्षकार बनाते हुए तीन जनवरी तक जवाब पेश करने के निर्देश दिये थे। केन्द्र सरकार के अधिवक्ता वी के कपरवाण ने आज अदालत को बताया कि उन्होंने विगत 20 दिसंबर को उप्र और उत्तराखंड सरकार को पत्र भेजकर इस मामले की स्टेटस रिपोर्ट उपलब्ध कराने की मांग की थी लेकिन दोनों राज्य सरकारों की ओर से आज तक उन्हें वस्तुस्थिति से अवगत नहीं कराया गया।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता एमसी पंत ने बताया कि अदालत ने आज केन्द्र सरकार को निर्देश दिये कि वह आगामी गुरूवार तक शपथपत्र के माध्यम से अपनी बात को कहे।
परिवहन निगम कर्मचारी यूनियन के महासचिव अशोक चौधरी की ओर से दायर जनहित याचिका में भी यह भी आरोप लगाया गया कि राज्य सरकार एवं उत्तराखंड परिवहन निगम उप्र सरकार से लंबित धनराशि को हस्तांतरित करवाने के लिये कोई सार्थक पहल नहीं कर रहे हैं। अदालत के रूख से साफ है कि वह परिसंपत्तियों के हस्तांतरण के मामले में आने वाले दिनों में कोई सख्त उप्र एवं उत्तराखंड सरकार को सख्त निर्देश जारी कर सकती है।
रवीन्द्र, उप्रेती
वार्ता
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